ग्वालियर। मौसमी बीमारियों के चलते मरीजों की प्लेटलेट गिर रही है। जिसके चलते उन्हें भर्ती कर उपचार लेना पड़ रहा है। जेएएच के डा विजय गर्ग का कहना है कि इस वक्त मौसमी बीमारियों के चलते जो लोग बीमार हो रहे हैं। उनमें प्लेटलेट कम होने की शिकायत भी अधिक देखी जा रही है। इसके के साथ ही मलेरिया के मरीजों की भी संख्या तेजी से बढ़ी है। जबकि इन दोनों ही बीमारियों की जांच कराने पर रिपोर्ट निगेटिव आती है पर उपचार डेंगू और मलेरिया का ही मरीज को देना पड़ रहा है तभी वह ठीक हाे रहे हैं। उसका कारण यह भी हो सकता है कि मरीज बुखार आते ही दवा का प्रयोग कर लेते है। ऐसे में यदि वह ठीक नहीं हुआ तो जांच में फिर डेंगू और मलेरिया पकड़ में नहीं आता।
हजार बिस्तर अस्पताल में मेडिसिन के दूसरे व तीसरे फ्लोर पर मरीजों की संख्या रविवार को अधिक थी। हालात यह थे कि मरीज जमीन पर लेटकर इलाज ले रहे थे तो कुछ मरीज लाबी में लेटकर उपचार लेने के लिए मजबूर थे। जबकि चौथे और पांच वे फ्लोर पर बेड खाली पड़े हुए थे। यही हाल सर्जरी विभाग का भी था जहां पर पांचवे फ्लोर पर बेड उठाकर रख दिए गए थे जिन पर मरीज अपने कपड़े सुखा रहे थे। हजार बिस्तर अस्पताल के दूसर व तीसरे फ्लोर पर मरीज की संख्या अधिक थी पर उससे कहीं अधिक अटेंडेंटों की संख्या थी। एक मरीज के साथ चार से 6 अटेंडेंट देखे गए। जो डाक्टर से खुद के बैठने के स्थान को लेकर झगड़ते भी देखे गए। इस अव्यवस्था पर प्रबंधन नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। क्योंकि वार्ड में सुरक्षा गार्ड के नाम पर कोई नहीं होता।
गद्दे और चादर तक चोरी चले जाते हैं
बताया जाता है कि ऐसे में वार्ड से गद्दे और चादर तक चोरी चले जाते हैं। छटवीं मंजिल पर स्थित आइसीयू में मरीज से अधिक जमीन पर अटेंडेंट लेटे हुए थे, यही नहीं अटेंडेंटों का बैग आदि सबकुछ जोड़कर रखा हुआ था। जिससे संक्रमण फैलने का खतरा है। डा अर्चना गुप्ता का कहना है कि वातावरण में जिस गति से परिवर्तन हो रहा है। उसी के चलते लोग सर्दी,खांसी,जुकाम और बुखार के शिकार बन रहे है।बीमारी मरीज के संपर्क में आने वाले ऐसे लोग जिनके फेफड़े कमजोर है वह तेजी से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। यह लोग सांस संबंधी परेशानी लेकर जेएएच की ओपीडी में पहुंचते उन्हें भर्ती करना पड़ता है। असल में इनमें वे लोग है जो धूम्रपान अधिक करते हैं, पहले उन्हें टीबी रह चुकी है,सांस संबंधी बीमारी रही है आदि।
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