भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर फायर आडिट अभियान चलाया जाएगा। वल्लभ भवन स्थित मंत्रालय से इसकी शुरुआत हो चुकी है। मंत्रालय में सुरक्षा उपकरणों की जांच कर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की भी जांच की गई है। वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग ने वल्लभ भवन की पुरानी बिल्डिंग का रिनोवेशन कराने के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। इसी तरह अन्य सरकारी भवनों का भी फायर आडिट कराया जाएगा।
इसके लिए प्रशासन और पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है। सतपुड़ा भवन और फिर मंत्रालय में भीषण आग से सरकारी दस्तावेज सहित शासकीय संपत्ति की हानि हुई थी। वहीं प्रदेश के अस्पतालों में भी आग की घटना से कई मासूमों को अपनी जान गवाना पड़ी थी। हाल ही में लोकायुक्त मुख्यालय में लगी आग ने प्रशासन की व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भोपाल के हमीदिया और जबलपुर के अस्पतालों में लगी भीषण आग की घटनाओं के बाद फायर सेफ्टी को लेकर एसओपी जारी की गई थी। प्रदेशभर में सभी बहुमंजिला इमारतों का फायर आडिट कराया गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात है शासन ही इसे भूल गया। सतपुड़ा भवन स्थित स्वास्थ्य संचालनालय और मंत्रालय में ही इसका पालन नहीं हुआ था। एसओपी के अनुसार आग बुझाने के इंतजाम होते तो सतपुड़ा भवन में लगी आग पर काबू पा लिया जाता।
मध्य प्रदेश के छह बड़े अस्पतालों में आग लग चुकी है, इनमें बच्चे, वृद्ध सहित 25 से अधिक मरीज अपनी जान गवां चुके हैं। दिसंबर 2020 में शिवपुरी जिला अस्पताल में आग लगने से एक मरीज की मौत हो गई थी। नवंबर 2021 में भोपाल के कमला नेहरू चिल्ड्रन अस्पताल में आठ से अधिक बच्चे जलकर मारे गए थे।
जून 2021 में खरगोन जिला अस्पताल के आइसीयू में आग लगी थी। मई 2021 में अशोकनगर जिला अस्पताल में आग लगी थी। जनवरी 2022 में इंदौर के मेदांता अस्पताल के आइसीयू में आग लगी थी, हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई। अगस्त 2022 में जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भीषण आग से 10 लोगों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2022 में फायर एनओसी देने के नए नियम बनाए गए थे। जिसमें प्रोविजनल एनओसी देने पर रोक लगा दी गई थी और नई प्रक्रिया के तहत नियम अनुसार आवेदन करने पर ही एनओसी देने की व्यवस्था की गई थी। अस्पताल खोलने या पुराने के नवीनीकरण के लिए 12 दस्तावेज मांगे जाते है। इनमें फायर एनओसी सख्ती से अनिवार्य की गई है। ई नगर पालिका पोर्टल पर एनओसी देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन मंत्रालय, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में फायर एनओसी को लेकर कोई पालन नहीं किया गया था। बहुमंजिला इमारतों के लिए भी यही प्रक्रिया है।
मंत्रालय में सुरक्षा कर्मियों को माक फायर ड्रिल एवं इवेक्युएशन ड्रिल का दिया प्रशिक्षण
मंत्रालय वल्लभ भवन में पदस्थ सभी पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को माक फायर ड्रिल एवं इवेक्युएशन ड्रिल का प्रशिक्षण पुलिस फायर ब्रिगेड, एवं नगर निगम के फायर फाइटर द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया। माक ड्रिल में विशेषज्ञ द्वारा बताया गया की आग लगने पर क्या-क्या कार्रवाई करनी है।
इवेक्युएशन ड्रिल द्वारा समझाया गया की बिल्डिंग में आग लगने पर स्वयं को सुरक्षित रखते हुए बिल्डिंग में मौजूद लोगों को सुरक्षित कैसे बाहर निकलना है। इसे नगर निगम की हाइड्रोलिक फायर टेंडर द्वारा ड्रिल करके समझाया गया। इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (फायर) आशुतोष राय, मंत्रालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी/ सहायक पुलिस आयुक्त सुरक्षा अविनाश शर्मा एवं वल्लभ भवन सुरक्षा में पदस्थ समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.