इंदौर के एडवोकेट निमेष पाठक ने मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष एक याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा वर्तमान में नामांकन के नाम पर नए-नए वकील बने व्यक्ति से 20350 रुपये लिए जा रहे हैं। विधि व्यवसाय समाजसेवा का कार्य है। वर्तमान में विधि की पढ़ाई अत्यंत महंगी हो गई है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए विधि की पढ़ाई करना बहुत मुश्किल हो गया है। ये विद्यार्थी जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नामांकन के लिए राज्य अधिवक्ता परिषद के समक्ष जाते हैं तो उन्हें नामांकन के नाम पर मोटी रकम देना होती है।
कई गुना ज्यादा ली जा रही रकम
एडवोकेट एक्ट के प्रविधानों के अनुसार राज्य अधिवक्ता परिषद नामांकन शुल्क के रूप में सिर्फ 750 रुपये ले सकता है, लेकिन इससे कई गुना ज्यादा रकम ली जा रही है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले दिनों राज्य अधिवक्ता परिषद और बार कौंसिल आफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बार कौंसिल इसी के खिलाफ हाई कोर्ट गया है।
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