भोपाल। राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र से सोमवार से दक्षिण-पश्चिम मानसून की रवानगी शुरू हो गई है। वर्तमान में मप्र के मौसम को प्रभावित करने वाली कोई मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। इस वजह से अब बादल छंटने लगे हैं। हालांकि, वातावरण में कुछ नमी बरकरार रहने के कारण कहीं-कहीं छिटपुट वर्षा हो सकती है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक 29 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बनने जा रहा है, लेकिन इसका मप्र के मौसम पर विशेष प्रभाव पड़ने की संभावना कम है।
अक्टूबर के पहले सप्ताह में प्रदेश से मानसून की वापसी शुरू होने की भी संभावना है। उधर, मंगलवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक इंदौर में 1.2 मिलीमीटर वर्षा हुई। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक वर्तमान में दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ है। इस चक्रवात से लेकर तेलंगाना तक एक द्रोणिका बनी हुई है। छत्तीसगढ़ पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।
इस चक्रवात से लेकर कोंकण तक एक द्रोणिका बनी हुई है। तमिलनाडु पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अब मप्र में भी मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगी है। इस वजह से बादल छंटने लगे हैं। छह जिलों में अब भी वर्षा की दरकार बता दें कि सितंबर में हुई झमाझम वर्षा से प्रदेश में इस माह का सामान्य वर्षा का कोटा पूरा हो गया है।
इस सीजन में एक जून से मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 940.0 मिमी. वर्षा हो चुकी है, जो सामान्य वर्षा 940.4 मिमी. की तुलना के समकक्ष है। उधर पूर्वी मप्र में अभी तक 991.6 मिमी. वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा 1033.1 मिमी. के मुकाबले चार प्रतिशत कम है। पश्चिमी मप्र में अभी तक 900.4 मिमी. वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा 869.1 मिमी. की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है। हालांकि, अब भी छह जिले गुना, अशोकनगर, दमोह, सतना, रीवा एवं सीधी में सामान्य से 23 से लेकर 37 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है।
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