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कुलदेवी के आशीर्वाद से इस गांव के कई निवासी बने विधायक व मंत्री, अभी दो लोग विधानसभा के सदस्य

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मुरैना। चंबल नदी किनारे बीहड़ों के बीच बसा है नायकपुरा गांव। जैसा इस गांव का नाम है, वैसी ही यहां की ख्याति है, ये गांव मुरैना की राजनीति का सिरमौर है। इस गांव से अब तक छह विधायक बन चुके हैं। ग्वालियर-चंबल ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश का यह इकलौता गांव है, जहां के इतने निवासी विधायक और मंत्री बने हैं। पिछले चुनाव में इस गांव के दो नेता दो विधानसभाओं से चुनाव जीते। वर्तमान में वह मप्र सरकार में केबिनेट मंत्री का दर्जा और प्रदेश की राजनीति में दबदबा भी रखते हैं।

जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर बसे नायकपुरा गांव में मतदाताओं की संख्या लगभग 1140 है। यह छोटा सा गांव अब तक छह विधायक दे चुका है। नायकपुरा गांव अब कई छोटे-छोटे पुरा व मझरों में बदल गया है, जिनकी आबादी लगभग 2000 के करीब है। इस गांव ने प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव (वर्ष 1951) में ही विधायक दे दिया था। 1951 में पहली विधानसभा के लिए गांव के सोवरन सिंह कंषाना विधायक चुने गए। 16 विधानसभा चुनावों में नायकपुरा का कोई न कोई नेता किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ता रहा है।

गांव के दो नेता अभी विधायक

वर्ष 2018 के चुनाव में इस गांव के दो नेता ऐदल सिंह कंषाना (सुमावली विस से) और रघुराज सिंह कंषाना (मुरैना विस से) एक साथ विधायक बने थे। रोचक यह भी है कि ये दोनों ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा सरकार में केबिनेट दर्जा मंत्री हैं।

ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओं पर गर्व

नायकपुरा गांव में मढ़वाली माता का एक प्राचीन मंदिर है। लोगों की मान्यता है कि गांव की कुलदेवी के वरदान से ही गांव का एक व्यक्ति हर समय ऊंचे पद पर व शासन में भागीदार रहता है। बीहड़ों के बीच बसे इस गांव में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी हर सुविधा है। सुविधाओं के मामले में यहां के ग्रामीण गांव से अब तक बने मंत्री व विधायकाें के करवाए कामों पर गर्व करते हैं।

नायकपुरा से ये नेता पहुंचे भोपाल में विधानसभा तक

  • 1951 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर नायकपुरा के निवासी सोवरन सिंह कंषाना मुरैना सीट से विधायक बने थे।
  • 1955 में करन सिंह जाटव, कांग्रेस के टिकट पर मुरैना विधानसभा से विधायक का चुनाव जीते।
  • 1972 के चुनाव में हरीराम सर्राफ (कंषाना) मुरैना विधानसभा सीट से विधायक बने।
  • 1985 में नायकपुरा के कीरतराम कंषाना कांग्रेस के टिकट पर सुमावली विधानसभा सीट से विधायक बने।
  • 1993 व 1998 में नायकपुरा के ही ऐदल सिंह कंषाना बसपा के टिकट पर सुमावली सीट से विधायक बने। इसके बाद कांग्रेस से वर्ष 2008 व 2018 में विधायक बने। 1998 में राज्यमंत्री रहे, 2020 में छह महीने के लिए पीएचई मंत्री बने उसके बाद से एमपी एग्राे के चेयरमैन हैं।
  • वर्ष 2018 में नायकपुरा के मूल निवासी रघुराज कंषाना मुरैना सीट से कांग्रेस से विधायक बने। वर्तमान में पिछडा वर्ग व अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के चेयरमैन हैं।

गांव को मिला है वरदान

रघुराज सिंह कंषाना ने कहा कि देश की आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में हमारे दादा सोवरन सिंह विधायक बने। उसके बाद हमारे चाचा हरीराम सिंह विधायक रहे, वह सराफे का काम करते थे। उसके बाद हमारे बाबा कीरतराम सिंह कंषाना भी विधायक बने। हमारे गांव के ही ऐदल सिंह कंषाना चार बार विधायक बने व वर्तमान में एमपी एग्रो के चेयरमैन हैं। मुझे भी सौभाग्य मिला, मैं भी विधायक बना और मुझे मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। हमारे गांव को वरदान है कि गांव का व्यक्ति चाहे मंडी का चुनाव लड़े, जनपद का चुनाव लड़े या जिला पंचायत का, वह ऊंचे पद तक पहुंचा।

मैं हमेशा जनता के साथ खड़ा रहा

ऐंदल सिंह कंषाना ने कहा कि हमारे गांव में जनप्रतिनिधि बनने के पीछे गांव की कुलदेवी का आशीर्वाद है। मैंने पंचायत सरपंच से राजनीति शुरू की, फिर मंडी डायरेक्टर, मैं जनपद सदस्य फिर जनपद का अध्यक्ष रहा। उसके बाद चार बार विधायक बना। हमारे गांव के लोग पूरी निष्ठा व ईमानदारी से जनता की सेवा करते हैं। मैं बिना काम के कभी नहीं बैठा, हमेशा जनता के काम किए। पुलिस या प्रशासन ने जनता पर कोई जुल्म किया, तो मैं सबसे पहले आगे आया। हमारे गांव के करीब 14-15 मझरे बने हैं। गांव में खूब विकास भी हुआ है। अबकी बार दुर्गे मैया का आशीर्वाद रहा, तो और बड़े विकास का प्लान है।

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