कटनी। नागपंचमी पर लोग नागदेवता को दूध अर्पित करते हैं लेकिन जिले का एक शेषनाग मंदिर ऐसा है, जहां पर दूध के साथ ही श्रद्धालु भगवान को पर्व पर हरी सब्जियों का भोग लगाते हैं। बहोरीबंद के कुआं गांव के 111 साल पुराने शेषनाग मंदिर में सालभर लोग पहुंचते हैं और अपनी सुरक्षा की कामना करते हैं।
हरी सब्जी का भोग लगाने के पीछे मान्यता
हरी सब्जी का भोग लगाने के पीछे मान्यता यह है कि अक्षय तृतीया के पर्व से नियमानुसार आने वाली नई हरी सब्जी खाना वर्जित कर दिया जाता है। लोग नागपंचमी में हरी सब्जी लेकर पहुंचते हैं और पूजन के बाद उसे शेषनाग को अर्पित करते हैं। उसके बाद से उनका हरी सब्जी खाना शुरू हो जाता है। नागपंचमी के अलावा ऋषि पंचमी पर भी यहां पर मेला लगता है।
मंदिर के पास होती थी वन विभाग की चौकी
बहुत साल पहले मंदिर के पास वन विभाग की चौकी हुआ करती थी और उसमें वनरक्षक आधार सिंह ठाकुर रहते थे। लगभग 111 साल पूर्व ग्रामीणों के सहयोग से राजस्थान से शेषनाग देवता की प्रतिमा बुलाई गई और उसे यहां पर स्थापित कराया गया। मंदिर निर्माण में स्वर्गीय गया प्रसाद नायक ने विशेष सहयोग दिया था और उनकी मदद से नागदेवता की पहले मढ़िया बनाई गई थी। जहां लोग सालभर दर्शन पूजन को पहुंचते हैं और नागपंचमी व ऋषि पंचमी पर विशेष पूजन में आज तक शामिल होते हैं।
वर्ष 2003-04 में कराया गया मंदिर का निर्माण
वर्ष 2003-04 में आधार सिंह की नातिन उर्मिला देवी ने मंदिर के जीर्णाेद्धार कराने का कार्य प्रारंभ किया था। जिसमें मंदिर के ट्रस्ट व ग्रामीणों ने भी अपना सहयोग प्रदान किया। मंदिर का विस्तार कराते हुए यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। वर्ष 2007 में मंदिर के बाहर बड़े गेट का भी निर्माण कराया गया। वर्तमान में मंदिर की देखरेख ट्रस्ट के लोग करते हैं और ग्रामीण उसमें सहयोग प्रदान करते हैं।
इनका कहना है
कुआं के शेषनाग मंदिर की बहुत पुरानी मान्यता है। अक्षय तृतीया से हरी सब्जी खाना वर्जित कर दिया जाता है और नागपंचमी पर हरी सब्जी भगवान को अर्पित करते हैं, उसके बाद खाना शुरू कर हैं। यह यहां की पुरानी मान्यता है। इसके अलावा ऋषि पंचमी में भी विशेष पूजन मंदिर में होता है और कई जिलों से लोग पहुंचते हैं।
राममिलन नायक, मंदिर पुजारी शेषनाग मंदिर
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