महू। महू तहसील में बाघ का मूवमेंट अब भी जारी है। बारिश के बाद जंगल घना होने के कारण अब बाघ बाहरी क्षेत्र में नजर नहीं आ रहा है, लेकिन बड़गोंदा नर्सरी में अब भी बाघ का मूवमेंट बना हुआ है। पिछले सात दिनों में बड़गोंदा नर्सरी में दो बार बाघ नजर आया है। बाघ के पग चिह्न और विस्टा भी मिली है। बड़गोंदा नर्सरी में काम करने वाले कर्मचारियों का भी बाघ से आमना-सामना हो चुका है। संभावाना जताई जा रही है कि बाघ ने अपना बसेरा बड़गोंदा क्षेत्र में ही कहीं बनाया है।
महू तहसील में बाघ के मूवमेंट को पूरे 105 दिन हो गए हैं। इन दिनों में बाघ के कई फोटो-वीडियो बहुप्रसारित हुए तो कई बार बाघ ने अपने होने के प्रमाण पग चिह्नों से दिए, इससे यह स्पष्ट हुआ कि बाघ महू और मानपुर क्षेत्र के जंगलों में विचरण कर रहा है।
बाघ सबसे पहले सात मई को आर्मी वार कालेज परिसर के कैमरे में नजर आया था। उसके बाद अंतिम बार 10 जुलाई को आखिरी बार बड़गोंदा नर्सरी के पास नखेरी नदी में बालाजी मंदिर के पीछे विचरण करते हुए वीडियो आया था।
कर्मचारी से बाघ का हो गया था आमना-सामना
15 अगस्त को बाघ के 100 दिन पूरे हुए। इसी दिन बाघ का फिर से बड़गोंदा नर्सरी में काम करने वाले एक कर्मचारी विजय से आमना-सामना हो गया। विजय नर्सरी में बने तालाब की ओर जा रहा था। इसी दौरान जाने वाली पगडंडीनुमा मार्ग के किनारे वह बैठा हुआ था। विजय उसे देखकर घबरा गया और जोर से चिल्लाया, इससे बाघ खड़ा होकर दूसरी ओर जाने लगा। विजय भी डर के कारण विपरीत दिशा में भागा, जहां बाघ बैठा था, वहां बाघ के स्पष्ट पग चिह्न भी मिले हैं। उसी मार्ग पर बाघ की विस्टा भी मिली है।
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