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अस्पताल में जीवन रक्षक उपकरणों पर रखी जाएगी नजर

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ग्वालियर। मटेरियो विजिलेंस अब हर अस्पताल में उपलब्ध मेडिकल डिवाइस पर नजर रखेगी। यदि किसी डिवाइस के उपयोग से मरीज को परेशानी होती है तो संबंधित के खिलाफ एक्शन होगा। खास बात यह है कि सरकार से लेकर निजी अस्पताल में डिवाइस के उपयोग से पहले उसकी जांच कराना जरूरी होगा। यह जांच बायोमेडिकल इंजीनियर करेगा। इसलिए परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय द्वारा मटेरियो विजिलेंस प्रोग्राम आफ इंडिया शुरू किया है। जहां पर उपकरण संबंधी शिकायत, डाक्टर, स्टाफ, मरीज या अटेंडेंट कर सकता है। शिकायत मिलने पर यदि उपकरण में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है तो उसे संपूर्ण देश में प्रतिबंधित किया जाएगा। यदि उपकरण के उपयोग में संबंधित अस्पताल प्रबंधन की गड़बड़ी पाई जाती है तो उसके खिलाफ एक्शन होगा।

मशीन में गड़बड़ी बनती है हादसे का कारण

डा. सरोज कोठारी बताती हैं कि जिस तरह से दवा के रिएक्शन से मरीज को नुकसान पहुंचता है। ठीक वैसे ही उपकरण के निर्माण में आए डिफेक्ट से कई तरह की परेशानी मरीज को हो सकती है। यदि किसी उपकरण के इस्तेमाल से मरीज को परेशानी होती है तो वह टोल फ्री नंबर 18001803024 पर शिकायत कर सकता है। देखा गया है कि गाजियाबाद में फोटोथैरपी के दौरान उपकरण में आग लगने से 5 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। इसी तरह से कोविड काल में जेएएच के सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में उपचार के दौरान एक उपकरण में आग लग गई थी जिससे तीन मरीजों की मौत हुई थी, क्योंकि मशीन में गड़बड़ी थी। इसलिए समय रहते मशीन की गड़बड़ी का पता चलने पर उसे बदला जा सके, जिससे हादसों को टाला जा सके।

जहां बायोमेडिकल इंजीनियर, वहां पर होगी विजिलेंस

भारत सरकार ने उपकरण से होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए 10 जनवरी 2015 को मेटेरियो विजिलेंस प्रोग्राम आफ इंडिया को आरंभ करने की अनुमति दी। 6 जुलाई 2015 को इसे इंडिया फार्मोकोपिया कमीशन गाजियाबाद की देखरेख में ड्रग कंट्रोलर जनरल द्वारा यह कार्यक्रम पूरे भारत में लागू कर दिया गया। उपकरण में गड़बड़ी की शिकायत 30 दिन के भीतर संबंधित संस्थानों को करनी होगी। यदि वह अपने स्तर पर सुधार कराती हैं तो 5 दिन में इसकी सूचना देनी होगी। अब इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने के लिए जिन मेडिकल कालेज में बायोमेडिकल इंजीनियर तैनात हैं वहां पर यह विजिलेंस काम करेगी। इसके लिए फार्मोकोपिया का संचालन करने वाली टीम को ही नियुक्त किया गया है।

टोलफ्री नंबर पर कर सकते हैं शिकायत जिस तरह से दवा के रिएक्शन की शिकायत की जा सकती थी, अब ठीक वैसे ही मेडिकल डिवाइस जिसमें निडिल से लेकर वेंटिलेटर तक शामिल है। यदि इन उपकरण में कोई गड़बड़ी होती है तो टोलफ्री नंबर पर शिकायत कर सकते हैं, जिस पर विजिलेंस टीम एक्शन लेगी।

डा. सरोज कोठारी, नोडल अधिकारी फार्मोकोविजिलेंस प्रोग्राम जीआरएमसी

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