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रैगिंग रोकने के लिए स्क्वाड को सीनियर और जूनियर से अलग-अलग करना होगा संवाद

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 इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने रैगिंग रोकने के लिए नया प्रयोग किया है। कालेज में बनने वाली एंटी रैगिंग स्क्वाड को विद्यार्थियों की गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी मिली है। स्क्वाड के सदस्यों को सीनियर-जूनियर छात्रों से अलग-अलग संवाद करने को कहा है। ऐसा करने से रैगिंग से जुड़ी गतिविधियों का आसानी से पता लगाया जा सके। स्क्वाड के सदस्यों को रिपोर्ट बनाकर कालेज की एंटी रैगिंग समिति को देना होगी। उसके आधार पर समिति विद्यार्थियों से पूछताछ करेंगी। प्रत्येक कालेज में हर महीने इस तरह की बैठक करवाई जाएगी।

2023-24 सत्र शुरू होते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने रैगिंग रोकने को लेकर गाइडलाइन जारी की है। विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले 270 कालेजों को एंटी रैगिंग स्क्वाड-एंटी रैगिंग कमेटी बनाना है। इसके बारे में विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण संघ को सूचित करना है। नए नियमों के मुताबिक, कालेज की एंटी रैगिंग कमेटी को हर महीने अपनी रिपोर्ट बनाकर विश्वविद्यालय को देना है। ऐसा नहीं करने वाले कालेजों पर कार्रवाई की जाएगी। पहली बार विश्वविद्यालय ने स्क्वाड के अधिकार बढ़ाए हैं, जिसमें सदस्यों को सीनियर-जूनियर से संवाद करना है।

स्क्वाड में फाइनल ईयर के विद्यार्थी भी होंगे

स्क्वाड में कालेजों को उन विद्यार्थियों को रखना है, जो पढ़ाई सहित अन्य गतिविधियों में प्रदर्शन अच्छा रहता है। तीन से पांच सदस्य स्क्वाड में फर्स्ट से लेकर फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को रखा जाएगा। इसमें एक प्राध्यापक भी होंगे। खास बात यह है कि कालेज में विद्यार्थियों के बीच की गतिविधियों के बारे में पता लगाने की जिम्मेदारी स्क्वाड की रहेगी, जो हास्टल व कालेज के सीनियर-जूनियर विद्यार्थियों से घटनाक्रम की जानकारी ले सके। इसे लेकर स्क्वाड को कालेज की समिति को बताना है, जो देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को भेजी जाने वाले रिपोर्ट में इसका उल्लेख करेगी।

शिकायतें करना है कम

दरअसल, रैगिंग से जुड़ी घटनाएं यूजीसी की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर दर्ज होती हैं। विद्यार्थी गोपनीयता की वजह से कालेज व विश्वविद्यालय को सीधे इसकी जानकारी नहीं देते हैं। इसके चलते संस्थान भी कार्रवाई के दायरे में आते हैं। इससे बचने के लिए विश्वविद्यालय ने कालेजों की समिति-स्क्वाड के अधिकारी बढ़ाए हैं, ताकि यूजीसी पर कम से कम शिकायतें दर्ज हो सके। यहां तक कि संस्थान पहले ही इस प्रकार की घटनाओं को रोक सके। इससे कालेज की छवि भी सुधरेगी।

बताएं रैगिंग के दुष्परिणाम

सत्र शुरू होने के बाद विद्यार्थियों के लिए रैगिंग रोकने पर सेमिनार भी करना है। प्रत्येक कालेज को सीनियर-जूनियर विद्यार्थियों को रैगिंग से होने वाले दुष्परिणाम, सजा और कार्रवाई के बारे में अवगत करना है। सेमिनार अनिवार्य रूप से कालेजों को आयोजित करना है। साथ ही समिति के सदस्यों के नाम नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने के निर्देश दिए है।

डरते हैं विद्यार्थी

शारीरिक-मानसिक प्रताड़ना को रैगिंग की श्रेणी में लिया है। कई बार विद्यार्थी इसकी शिकायत करने से डरते हैं। यही वजह है कि स्क्वाड को विद्यार्थियों के बीच रहकर इन घटनाओं का पता लगाना है, ताकि रैगिंग को रोकने में आसानी हो सके। वहीं समिति को भी हर महीने रिपोर्ट देना है। – डा. एलके त्रिपाठी, अध्यक्ष, छात्र कल्याण संघ, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय

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