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उज्जैन में स्वर्णगिरी पर्वत की परिक्रमा से मिलता है गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का पुण्य

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उज्जैन । भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा के मैत्री स्थल के रूप में विश्व विख्यात ग्राम नारायणा से एक किलो मीटर उत्तर में स्वर्णगिरी पर्वत विद्यमान है। मान्यता है गुरुमाता की आज्ञा से भगवान श्रीकृष्ण सुदामाजी को साथ लेकर इसी पर्वत पर लकड़ियां एकत्र करने आए थे। इस स्थान पर माता पार्वती ने सप्तऋषियों को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। श्रावण मास की सोमवती अमावस्या पर भक्त स्वर्णगिरी पर्वत की परिक्रमा करेंगे। मान्यता है स्वर्णगिरी की परिक्रमा करने से मथुरा गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा करने का पुण्य फल प्राप्त होता है।

पर्वत के पत्थर आपस में टकराने से घंटी जैसी आवाज आती है

भक्तों की मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की चरण पड़ने से यह पर्वत स्वर्ण के समान दमक उठा था। किंवदंती है कि आज भी वर्ष में एक बार रात्रि के समय एक पल के लिए यह पर्वत स्वर्ण का हो जाता है। इस पर्वत के पत्थर को आपस में टकराने से घंटे जैसी ध्वनि उत्पन्न होती है। कृष्ण भक्ति मार्ग के कुछ संत व ज्ञानी वर्षभर स्वर्णगिरी की यात्रा करने आते हैं।

सोमवती अमावस्या पर 17 जुलाई को श्रीकृष्ण सुदामा उत्सव समिति नारायणा धाम द्वारा स्वर्णगिरी परिक्रमा यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। भक्त सुबह 9 बजे नारायणा धाम स्थित श्री दामोदर कुंड से जल भरकर यात्रा की शुरुआत करेंगे।

साढ़े पांच कोस की यात्रा, दामोदर कुंड का जल लेकर प्रारंभ होगी

स्वर्णगिरी पर्वत की यात्रा साढ़े पांच कोस की बताई जाती है। भक्त यात्री दामोदर कुंड से जलभरकर उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान करेंगे। महूखेड़ा, तुलसापुर, बागला गांव होते हुए यात्री पार्वती धाम पहुंचेंगे। यहां दामोदर कुंड के जल से माता पार्वती का अभिषेक कर पूजा अर्चना व महाआरती की जाएगी। इसके बाद यात्री यहीं विश्राम व भोजन करेंगे। हजारों श्रद्धालु यात्रा में भाग लेंगे।

गौरीकुंड से जल भरकर लौटेंगे यात्री

विश्राम के उपरांत यात्री पार्वती माता मंदिर परिसर में स्थित गौरी कुंड का जल भरेंगे। इसके बाद बरखेड़ा बुजुर्ग, कुकलखेड़ा, बालोदा, शेरपुर होते हुए देर शाम यात्रा पुन: नारायणा धाम पहुंचेगी। पश्चात दामोदर कुंड में विराजित श्री कृष्णेश्वर महादेव का गौरी कुंड के जल से अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ यात्रा संपन्न होगी।

57 साल बाद श्रावण अधिक मास में सोमवती हरियाली अमावस्या

पंचांग की गणना के अनुसार श्रावण मास के प्रथम कृष्ण पक्ष (शुद्ध) के अंतर्गत 17 जुलाई को 57 साल बाद सोमवती हरियाली अमावस्या का संयोग बन रहा है। 1966 में 18 जुलाई को सोमवती हरियाली अमावस्या का पर्वकाल था। इस दिन शिप्रा व सोमकुंड में पर्व स्नान होगा। शाम 4 बजे श्रावण मास में भगवान महाकाल की दूसरी सवारी निकलेगी। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार सोमवती हरियाली अमावस्या पर स्नान दान के साथ शिव साधना विशेष फलदायी है।

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