भोपाल। मौसम में लगातार बदलाव के चलते अब लोगों को वायरल निमोनिया ने लोगों को परेशान कर रखा है। इससे ग्रस्त मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। जहां पहले चार से पांच दिनों में वायरल फीवर ठीक हो जाता था, वहीं अब वायरल इंफेक्शन के चलते मरीज 15 से 20 दिनों में ठीक हो पा रहा है। इतना ही नहीं, फेफड़ों में 30 से 40 प्रतिशत संक्रमण फैल रहा है। वहीं कुछ लोग डेंगू, मलेरिया और वायरल फीवर से परेशान हैं।
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डॉक्टरों के अनुसार इस वायरल निमोनिया को कोरोना जैसा कहा जा रहा है। उनका कहना है कि अगर मरीज कोविड टेस्ट कराएगा तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव ही आएगी। बीते दिनों वायरल निमोनिया से पीड़ित रोहित सिंह (बदला हुआ नाम) को एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। मरीज का सीटी स्कैन किया गया तो लंग्स में करीब 40 प्रतिशत निमोनिया का संक्रमण दिखा। यह ठीक दो वर्ष पहले हुए कोरोना के समान ही है।
सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार के साथ लोग अधिक थकान महसूस होने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार के साथ डायरिया हो रहा है। साथ ही मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, पीलिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है। प्रदूषित हवा सांस के साथ शरीर में जाती है और सर्दी-जुकाम का शिकार बनाती है। इसमें चार दिन के बुखार में अत्यधिक कमजोरी होती है। जोड़ों में तेज दर्द और थकान होती है। हृदय की झिल्ली में सूजन के साथ स्वाद गायब हो रहा है और सुगंध भी नहीं आ रही है।
जेपी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डा. योगेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि वायरल के साथ इंन्फ्लएंजा भी हो सकता है। इसमें स्वाइन फ्लू सहित अन्य वायरल हो सकते हैं, लेकिन लोग टेस्ट नहीं करा रहे। लोगों को इंफ्लूएंजा वैक्सीन लगाना चाहिए। ये वैक्सीन उन चार वायरस से बनती है, जो दुनियाभर में एक्टिव होते हैं। इससे बेहतर प्रोटक्शन मिल जाता है। बच्चों को यह वैक्सीन लगवाई जानी चाहिए, ताकि एलर्जी और निमोनिया से राहत मिले।
इन दिनों अस्पतालों में वायरल मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। सोमवार को हमीदिया अस्पताल में 2370 मरीज पहुंचे। इसमें 800 मरीज वायरल बुखार से संबंधित थे। इसी तरह जेपी अस्पताल में 2057 मरीज पहुंचे, जिसमें वायरल के 1014 मरीज थे। एम्स में भी 4587 मरीज ओपीडी में आए।
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