ग्वालियर। किसी भी प्रतिष्ठान का संचालन विभागीय अनुमति व लाइसेंस के बगैर न हो। जिन प्रतिष्ठानों में प्रविधानों का पालन नहीं हो रहा हैं, ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को चिह्नित करें और प्रविधानों का पालन व विधिवत अनुमति प्राप्त करने के लिए 15 दिन का अवसर दें। इस समयावधि के बाद भी जिन संस्थानों द्वारा यह कार्य नहीं कराया जाए, उन संस्थानों के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित करें। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने आदेश जारी कर यह निर्देश संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिए हैं।
विभागीय स्तर पर गठित दल करेगा निरीक्षण
जान-माल की सुरक्षा और आमजन के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर यह आदेश जारी किया गया है। प्रतिष्ठानों में नियमों, निर्देशों व प्रावधानों का पालन हो रहा है या नहीं, इसका निरीक्षण प्रभावी कार्य योजना बनाकर करने के निर्देश कलेक्टर चौहान ने संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने गर्मी के मौसम में अग्नि दुर्घटनाओं की संभावना को ध्यान में रखकर प्राथमिकता के आधार पर विभागीय स्तर पर दल गठित कर विभिन्न प्रकार के संस्थानों में निर्धारित मापदंडों मसलन फायर सेफ्टी और विद्युत सुरक्षा के तय मानकों के अनुरूप निरीक्षण कराने निर्देश दिए हैं। साथ ही स्पष्ट किया है कि अनियमितता पाए जाने पर विधि अनुसार कार्रवाई की जाए। कलेक्टर ने इस संबंध में की गई कार्रवाई का पालन प्रतिवेदन 15 दिवस में मांगा है। साथ ही हर माह की पांच तारीख तक नियमित रूप से मासिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं।
हर संस्थान की हर स्तर पर होगी जांच
जिला दंडाधिकारी ने आदेश में स्पष्ट किया है कि जमीन की खरीदी-बिक्री से लेकर भवन, दुकानें, फैक्ट्री, माल, सिनेमा हाल, हास्पिटल, स्कूल, कोचिंग सेंटर, होटल, लॉज, मैरिज गार्डन, ज्वलनशील सामग्रियों का भंडारण व विक्रय इत्यादि संस्थान के निर्माण के लिए सभी संबंधित विभागों में नामांतरण, डायवर्सन, भवन निर्माण अनुज्ञा लेना अनिवार्य है। साथ ही विभागीय दिशा-निर्देशन के तहत विद्युत सुरक्षा व फायर सेफ्टी का पुख्ता इंतजाम एवं लायसेंस प्राप्त करने का प्रावधान है।
निर्धारित शर्तों का पालन नहीं करते भूमि स्वामी
जिला दंडाधिकारी ने गत 19 अप्रैल को ग्वालियर शहर के एक मैरिज गार्डन में आग लगने की घटना का जिक्र करते हुए आदेश में उल्लेख किया है कि यदि समय रहते बचाव कार्य नहीं किए गए होते तो जनहानि हो सकती थी। इस प्रकार की घटनाओं से प्रकाश में आया है कि संबंधित भूमि स्वामी द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन न कर अपनी सुविधा के अनुसार निर्माण कराकर मनमाने तरीके से उपयोग किया जाता है। कलेक्टर ने अपेक्षा की है कि नियम व प्रावधानों का पालन कर सभी संबंधित विभाग अनुमतियां व लाइसेंस जारी करें। उन्होंने आदेश में उल्लेख किया है कि प्रस्तावित स्थलों का निरीक्षण कराएं। साथ ही यह भी देखें कि प्रस्तावित भवन जिस प्रयोजन से बनाया जा रहा है वह आसपास के रहवास के लिए उपयुक्त है अथवा नहीं। प्रस्तावित क्षेत्र में कोई शासकीय जमीन या भवन की जमीन, तो उपयोग में नहीं आ रही या अतिक्रमण तो नहीं हो रहा। भवन का निर्माण अनुमति के अनुरूप हो रहा है कि नहीं। जिस कारोबार के लिए लाइसेंस की जरूरत है उससे संबंधित भवन निर्माण इत्यादि के बाद कार्य उपयाेगिता प्रमाण- पत्र जारी किया जाए।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.