भाजपा के लिए अच्छी परिस्थितियां
विधानसभा में प्रचंड जीत के साथ परिस्थितियां भाजपा के लिए और अच्छी हो चुकी हैं। भाजपा और कांग्रेस में सीटों का अंतर बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में पार्टी को राज्यसभा सीटों का नुकसान नहीं होगा। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी सात सांसदों को प्रत्याशी बनाया था, इनमें पांच को जीत मिली।
सिंधिया, कविता पाटीदार को उतार सकती है पार्टी
सूत्रों का कहना है कि पार्टी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कविता पाटीदार को लोकसभा चुनाव में उतारने के विकल्प पर विचार कर रही है। सिंधिया भी गुना-शिवपुरी या ग्वालियर से लड़ने के इच्छुक बताए जाते हैं। बता दें कि अप्रैल में भाजपा के राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी का कार्यकाल भी पूरा हो रहा है। धर्मेंद्र प्रधान भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं, उनका कार्यकाल भी अप्रैल में समाप्त हो रहा है, इसलिए उन्हें भी ओडिशा से लोकसभा चुनाव लड़वाने पर पार्टी विचार कर रही है।
राज्यसभा में भेजे जाने वाले नेताओं के बारे में अघोषित नियम
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने राज्यसभा में भेजे जाने वाले नेताओं के बारे में अघोषित नियम बना रखे हैं। इसके तहत किसी भी नेता को दो बार से ज्यादा राज्यसभा में नहीं भेजा जाएगा। इसी रणनीति के तहत मध्य प्रदेश से राज्यसभा में भेजे गए धर्मेंद्र प्रधान का दूसरा कार्यकाल भी अप्रैल में समाप्त हो रहा है। इसके कुछ दिनों बाद ही देश में लोकसभा के चुनाव होना है, इसलिए पार्टी अब ऐसे हर सदस्यों को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रही है। मप्र से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कविता पाटीदार भी फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं, पार्टी चाहती है कि दोनों को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा जाए।
सिंधिया कांग्रेस में रहते गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से पिछला चुनाव हार गए थे। इस सीट से केपी सिंह भाजपा के सांसद हैं। सिंधिया इस क्षेत्र में लगातार प्रवास कर चुनावी तैयारियां भी करते दिखाई दे रहे हैं। वे ग्वालियर से भी चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं, लेकिन पार्टी वहां से जयभान सिंह पवैया जैसे हिंदुवादी चेहरे को लोकसभा चुनाव लड़वाकर राजनीति की मुख्यधारा में लाना चाहती है। पवैया वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव हार गए थे। दूसरे विकल्प के रूप में उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है।
भोपाल से नरोत्तम मिश्रा को लोकसभा चुनाव लड़वाने का विचार – पार्टी दतिया से विधानसभा चुनाव हारे प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा को भी भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाने पर विचार कर रही है। पार्टी नेताओं के मुताबिक भोपाल से ऐसे चेहरे को लोकसभा में प्रत्याशी बनाए जाने का विचार है, जो हिंदूवादी हो। गृह मंत्री रहते हुए मिश्रा ने ही लव-जिहाद कानून बनाया था। दंगों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई पत्थरबाजों से करने का भी कानून बनाया था। पार्टी भी चाहती है कि मिश्रा का पुनर्वास किया जाए। संगठन से मिले संकेत के बाद राज्य सरकार ने उनका बंगला भी किसी अन्य मंत्री को आवंटित नहीं करने का निर्णय किया है।
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आज की भाजपा आकांक्षी जनादेश की ओर उत्साह से बढ़ रही है। लोकप्रिय निर्णय कर हम बड़े जनादेश को प्राप्त करते हैं। मप्र के मन में क्या है, केंद्रीय नेतृत्व भलीभांति समझता है। उल्लेखित नाम भाजपा के जनप्रिय एवं वरिष्ठ नेता हैं।
– डा. हितेष वाजपेयी, प्रवक्ता भाजपा।
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