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एचआइवी संक्रमित मां से जन्मे एक भी बच्चे में ट्रांसफर नहीं हुआ रोग का संक्रमण

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ग्वालियर। ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास अब सार्थक सिद्ध हो रहे हैं, क्योंकि लगातार एचआइवी संक्रमित मिलने वालों के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले तीन साल में एचआइवी संक्रमित 77 प्रसव हुए। राहत की बात यह है कि एक भी जच्चा से बच्चे में संक्रमण ट्रांसफर नहीं हुआ। जयारोग्य अस्पताल में स्थित एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी डा. राकेश गहरवार का कहना है कि जागरूकता से ही एचआइवी के प्रसार को रोका जा सकता है और जिसमें काफी हद तक हम सफल भी हुए हैं।

हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है, ताकि एचआइवी संक्रमण के प्रसार के कारण होने वाली एड्स महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। हालांकि आज भी कई लोग एचआईवी और एड्स के बीच के अंतर को ठीक से नहीं जानते, जिसकी वजह से वह अक्सर सही इलाज पाने में देरी कर देते हैं। जागरूकता बढ़ने से इस महामारी को रोका जा सकता है।

एड़स क्या है

एड्स क्या है एड्स एचआइवी से होने वाली बीमारी है, जो इस संक्रमण का अंतिम और सबसे गंभीर स्टेज होता है। एड्स से पीड़ित लोगों में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बहुत कम होती है और उनका इम्युन सिस्टम भी डैमेज हो जाता है। एचआइवी क्या है : एचआईवी एक वायरस है, जिसे ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस के नाम से भी जाना जाता है। एचआइवी आपके इम्युन सिस्टम की सेल्स को संक्रमित और नष्ट कर देता है, जिससे अन्य बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। इस तरह जब एचआइवी आपकी इम्युनिटी को पूरी तरह से कमजोर कर देता है, जो एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम या एड्स का कारण बन सकता है।

तीन साल में मिलीं संक्रमित प्रसूताएं

वर्ष प्रसूताएं

2021 30

2022 32

2023 15

एचआईवी और एड्स में अंतर

डा. गहरवार का कहना है कि एचआइवी और एड्स में अंतर यह है कि एचआइवी एक वायरस है, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। वहीं एड्स एक ऐसी स्थिति या बीमारी है, जो एचआइवी संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली गंभीर रूप से कमजोर होने पर होती है। कोई व्यक्ति तब तक एड्स का शिकार नहीं बन सकता जब तक वह एचआइवी से संक्रमित नहीं होता। एचआइवी से संक्रमित होने पर यदि समय पर उपचार मिल जाए तो वह एड्स से बच सकता है।

यह रखें सावधानी

एचआइवी से बचने के लिए आपको सावधानी रखनी होगी। उसके लिए आप कभी भी असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं। एनिमल प्रोडक्ट से बने कंडोम का इस्तेमाल न करें। नशीली दवाएं लेने के लिए कभी भी सुइयां शेयर न करें। टैटू करवाते समय ध्यान रखें कि टैटू पार्लर सर्टिफाइड हो। टैटू कराते समय ध्यान रखें कि सुई नई हो और टैटू डिवाइज सही से सैनिटाइज हो। अन्य एसटीआई के लिए परीक्षण और इलाज करवाएं। अगर आपको लगता है कि आप एचआइवी के संपर्क में आ गए हैं, तो जल्द से जल्द डाक्टर से संपर्क करें।

तीन साल में संक्रमित जच्चा से एक भी बच्चे में एचआइवी ट्रांसफर नहीं हुआ। उसका कारण नियमित फालोअप और मरीज की जागरूकता से उपचार लेना है। इस कारण से पिछले कुछ साल से एचआइवी के मामले घट रहे हैं। लोगों में जागरूकता बढ़ रही है।

प्रो. डा. राकेश गहरवार, नोडल अधिकारी, एआरटी सेंटर, जेएएच

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