इंदौर। आश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम जाना जाता है। इस दिन की पूजा को कई जगहों पर कोजागर पूजा भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन महिलाएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इसलिए इसकी व्रत कथा भी संतान प्राप्ति और उसकी सुरक्षा से जुड़ी है। व्रत वाले दिन इस कथा को पढ़ना जरूरी माना जाता है। इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की कहानी क्या है। आइए, जानें की शरद पूर्णिमा की व्रत कथा क्या है।
शरद पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक शहरी साहूकार की दो बेटियां थीं। पूर्णिमा को दोनों व्रत करती थीं। बड़ी बेटी तो व्रत पूरा कर लेती थी, लेकिन छोटी बेटी व्रत को बीच में ही तोड़ देती थी। इस वजह से सबसे छोटी बेटी को संतान प्राप्ति में दिक्कत होती थी। छोटी बेटी के बच्चे पैदा होते ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते थे। जब सबसे छोटी बेटी ने पंडितों से पूछा कि ऐसा क्यों है, तो उन्होंने उसे बताया कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुमने व्रत अधूरा छोड़ दिया था। साथ ही जब उनसे इसका उपाय पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यदि तुम पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से करोगी तो तुम्हें अवश्य ही संतान की प्राप्ति होगी।
उन्होंने पंडितों की सलाह मानते हुए पूरे विधि-विधान से पूर्णिमा संपन्न की। इसके फलस्वरूप उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी भी मृत्यु हो गई। छोटी बेटी ने अपने बच्चे के शरीर को एक पाटे (पीढ़ा) पर रखा और उसे कपड़े से ढक दिया। फिर उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया और उसे उसी बिस्तर पर बैठाने लगी। जब बड़ी बहन उसके ऊपर बैठने लगी तो उसका लहंगा बच्चे को छू गया और वह जीवित होकर रोने लगा।
यह देखकर उसकी बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझ पर कलंक लगाना चाहती थी, अगर मैं वहां बैठी, तो यह मर जाता। इस पर छोटी बहन ने जवाब दिया कि यह बच्चा तो पहले ही मर चुका था, लेकिन तुम्हारे भाग्य से यह फिर से जीवित हो गया। उसके बाद दोनों बहनों ने गांव के सभी लोगों को शरद पूर्णिमा व्रत की महिमा और विधि के बारे में बताया।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.