धार। मध्य प्रदेश के मालवांचल का आदिवासी समाज खुद को वोटबैंक समझे जाने से नाखुश है। चुनाव के समय जिस तरह से सुध ली जाती है और बाद में भुला दिया जाता है, इस बात को लेकर नाखुशी ज्यादा है। अंचल के आदिवासी बहुल धार जिले में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग गांवों में सुविधा न पहुंच पाने की बात कहते हैं। यही बात यहां मुद्दा बनने लगी है। लोगों का कहना है कि उन्हें आवास तक नहीं मिल पाए। पेसा कानून कागजों से बाहर नहीं निकल पाया।
अब बदल रही है तस्वीर
अब तक के चुनाव में होता रहा है कि केवल व्यक्तिगत संपर्क और अपनी वादों को लेकर ही चुनाव होते रहे हैं। अब धीरे-धीरे तस्वीर बदल रही है। यह वर्ग भी जागरूक हो रहा है। विकास की बातें होने लगी हैं। चुनावी दौर में अपने अधिकार के प्रति इन लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। वे जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी बात रखने की स्थिति में आ गए हैं।
ग्रामीणों के अधिकार की जानकारी नहीं
अधिकांश सरपंचों एवं आदिवासी अंचल के ग्रामीणों को अधिकार के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन जागरूक ग्रामीण उन्हें घेरने लगे हैं। उनके जरिए कांग्रेस और भाजपा के प्रमुख चेहरों से शिकवा शिकायत का क्रम तेज हो गया है। उनका कहना है कि वे अब भीड़ तंत्र नहीं बनने वाले। आवास सुविधा से लेकर कई बुनियादी सुविधाएं अभी भी इन लोगों से दूर हैं। ऐसे में यह सब कमियां इस बार चुनावी मुद्दे के तौर पर सामने आ रही हैं।
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