भोपाल। सितंबर के महीने में मध्य प्रदेश के कई शहरों में जोरदार बारिश हुई। कई जगह बाढ़ एवं जल जमाव के हालात बने। अब प्रदेश से मानसून विदा होने वाला है लेकिन विदा होने से पहले एक बार वापसी करके मानसून तेज बारिश की सौगात दे सकता है। वर्षा का सीजन शनिवार को (एक जून से लेकर 30 सितंबर तक) औपचारिक रूप से समाप्त हो गया।
हालांकि, बंगाल की खाड़ी में गहरा कम दबाव का क्षेत्र और अरब सागर में अवदाब का क्षेत्र बन गया है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इन मौसम प्रणालियों के असर से नमी आने की वजह से रविवार से पूर्वी मध्य प्रदेश के जबलपुर, शहडोल, रीवा संभाग के जिलों में मध्यम स्तर की वर्षा शुरू होने के आसार हैं।
उधर, दक्षिण-पश्चिम मानसून के वापस होने का भी सिलसिला शुरू हो गया है। शनिवार को मुरैना और शिवपुरी जिले से मानसून की विदाई हो गई। अक्टूबर के पहले सप्ताह में पूरे प्रदेश से मानसून के वापस होने की संभावना है।
शनिवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक छिंदवाड़ा में पांच, मंडला में दो मिमी वर्षा दर्ज की गई। मलाजखंड में बूंदाबांदी हुई।मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में गहरा कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इस मौसम प्रणाली के रविवार को उत्तरी ओडिशा और उससे लगे बंगाल के तट पर पहुंचने की संभावना है।
उधर, पूर्वी मध्य प्रदेश में अभी तक 998.6 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा 1043.4 मिमी. के मुकाबले चार प्रतिशत कम है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में अभी तक 904.7 मिमी. वर्षा हुई है, जो सामान्य वर्षा 877.3 मिमी. की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक है। हालांकि, अभी भी प्रदेश के छह जिले गुना, अशोकनगर, दमोह, सतना, रीवा एवं सीधी में सामान्य से 24 से लेकर 37 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है।
उधर, कोंकण-गोवा के तट पर अवदाब का क्षेत्र बन गया है। इन दोनों मौसम प्रणालियों के असर से कुछ नमी आने लगी है। इस वजह से एक अक्टूबर से जबलपुर, शहडोल, रीवा संभाग के जिलों में मध्यम स्तर की वर्षा का सिलसिला शुरू होने की संभावना है। इस सीजन में एक जून से लेकर शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 945.5 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य वर्षा 949.5 मिमी की तुलना के समकक्ष है। इ
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