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मंडी नाका शुल्क में जमकर धांधली, बगैर पर्ची दिए वसूल रहे राशि

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सीहोर। कृषि उपज मंडी में सब्जी लेकर जाने वाले फुटकर विक्रेता से बिना रशीद दिए मनमानी राशि वसूली जा रही है। जब नवदुनिया इसकी पड़ताल करने पहुंचा तो हड़कंप मंच गया। जहां साढ़े आठ बजे तक यहां से बाइक और आटो पर सब्जी लेकर जाने वालों से 10 से 30 रुपये लिए जा रहे थे, लेकिन उन्हें रसीद नहीं दी जा रही थी, लेकिन जब यहां से निकलने वालों के वीडियो बनते देखे तो आनन-फानन में रसीद काटना शुरू कर दी।

जब एक आटो वाला निकला तो उससे 20 रुपये लेकर उसे रसीद थमा दी, जब उसको देखा तो रसीद दस रुपये की ही थी। यह हाल एक दो नहीं यहां से निकलने वाले 500 से अधिक सब्जी विक्रेताओं के है, जिन्होंने खुलकर बताया कि बिना रसीद के ही पैसे लिए जाते हैं। कृषि उपज मंडी में हर रोज पांच सौ से अधिक थोक में सब्जी बेचने व खरीदने वाले पहुंचते हैं, जिनसे मंडी कर्मचारी व सुरक्षा कर्मी 10 से लेकर 100 रुपये तक की शुल्क वसूलते हैं।

यहां स्थाई दुकान लगाने वालों की पर्ची काटर ली गई राशि मंडी खाते में जमा कर दी जाती है, लेकिन दस से 30 रुपये देने वालों को बिना पर्ची दिए ही राशि टेबल पर रखे काले बैग में डाल दी जाती है, जिसकी मंडी प्रबंधन में हर रोज बंदरबांट कर लेता है। क्योंकि इसका कोई हिसाब नहीं रहता है।

यह बात ‘नवदुनिया’ की फरवरी के बाद दूसरी बार 27 सितंबर को की गई पड़ताल में सामने आई। जहां फुटकर सब्जी बेचने वालों को कैमरा चलते देख पहले तो गेट पर मौजूद गार्ड राकेश ने अपने दो सहयोगियों को बुलाया और उसके बाद लोगों से पैसे लेकर पर्ची देना शुरू की गई, जिससे सब्जी लेजाने वाले यह कहते नजर आए कि आज क्या बात है पर्ची दी जा रही है। ऐसे कई किसान व सब्जी बेचने वालों से बात की तो पता चला कि शुल्क की पर्ची दिए बिना ही उनसे राशि वसूली जाती है।

बिना रसीद के पैसे काले बैग में

कृषि उपज मंडी में सब्जी लेकर आने वाले और सब्जी लेकर जाने वाले 500 से अधिक किसान व दुकानदार है, जिनके लिए मंडी प्रबंधन ने नाका शुल्क तय कर रखा है। यहां साइकिल, हाथ ठेला और बाइक से सब्जी लाने और ले जाने वाले से दस रुपये, आटो व पिकअप वाले से 30-40 रुपये शुल्क तय किया गया है, जिसकी पर्ची भी उन्हें देना है, लेकिन मंडी कर्मचारियों की माने तो यहां हर रोज यहां स्थाई दुकान लगाने व नीलामी करने वालों की 80 से 90 पर्ची ही कटती हैं, जिनसे 50 से 100 रुपये शुल्क लिया जा रहा है, जो मंडी खाते में जमा भी हो रहा है, लेकिन यहां तैनात सुरक्षाकर्मी व मंडी कर्मचारी जो दस से 30 रुपये ले रहे है, उसकी पर्ची उन्हें नहीं दी जा रही है। यह पैसा यहां रखे काले बैग में लेकर डाल दिया जाता है, जो फिर आपस में बंट जाता है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस पैसे की हर रोज हिस्सा-बांटा हो रहा है।

मंडी को हर रोज राजस्व का नुकसान

पड़ताल में यह बात सामने आई कि साइकिल, बाइक व हाथ ठेले से सब्जी नीलामी के लिए लाने वाले व मंडी से थोक में खरीद कर फुटकर में बेचने ले जाने वालों की संख्या 400 से अधिक है, वहीं हर रोज नीलामी के लिए व फड़ पर सब्जी बेचने वाले 100 से अधिक हैं, जो हर रोज सब्जी का क्रय विक्रय करते हैं। ऐसे में बिना पर्ची के शुल्क वसूलने वाले यदि चार सौ लोग है और जिनसे मनामाने तरीके से शुल्क वसूला जाता है, जो हर माह में डेढ़ से दो लाख रुपये होता है, जिससे मंडी प्रबंधन को सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसके बाद भी मंडी प्रबंधन इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है यह बड़ा सवाल है।

याद नहीं कब दी थी पैसे लेकर रसीद

कृषि उपज मंडी में सब्जी नीलामी के लिए लाने वाले, हाथ ठेले, बाइक और आटो पर सब्जी बेचने के लिए ले जाने वाले संजू कुशवाह, जयराम लोधी, सद्दाम खां, अर्जुन सिंह, दिनेश ने कहा कि हम वर्षो से सब्जी लेकर जा रहे है, जो बाजार में फुटकर में बेचते हैं। यह नाका शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन रसीद नहीं दी जाती है। कई बार यहां का गार्ड 10 से लेकर 30 रुपये तक लेता है।

आटो व पिकअप से माल के अनुसार राशि वसूली जाती है, चाहे वह निजी आयोजन के लिए ले जा रहा हो या बेचने के लिए। यदि पूरे माह की वसूली देखी जाए तो लाखों रुपये होती है। इस पैसे का क्या होता है यह तो यही लोग बता सकते है, लेकिन इतना जरूर पता है कि मंडी सचिव को यह सब पता है, फिर भी लूट खसोट मची हुई है।

सीधी बात: कृषि उपज मंडी सचिव नरेंद्र मेश्राम

सवाल: कृषि उपज मंडी में सब्जी लेकर जाने वालों से बिना रसीद दिए नाका शुल्क वसूला जा रहा है?

जवाब: सब्जी वालों का रसीद काउंटर से दी जाती है उसके बाद पैसे लिए जाते हैं।

सवाल: यहां तो गार्ड पैसे ले रहा था बिना पर्ची दिए, रसीद काटने वाले कर्मचारी नहीं थे सुबह उनका क्या समय है?

जवाब: कर्मचारियों से आठ घंटे ड्यूटी कराते है वह अपने समय से जाते हैं।

सवाल: बिना रसीद पैसे लेने का हिसाब कैसे होता है इससे तो राजस्व का नुकसान है?

जवाब: रसीद देने के बाद ही पैसे लिए जाते है। यदि ऐसा कोई कह रहा है तो आप बताइए देखता हूं।

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