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इंदौर में बोली अभिनेत्री गुल पनाग- परिवार और कारोबार की तरह फिटनेस पर भी दें ध्यान

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इंदौर। मनुष्य को कभी सीखना नहीं छोड़ना नहीं चाहिए। व्यक्ति को अपनी हर पसंदीदा चीजों में हाथ आजमाना चाहिए। सफलता और खुशी हासिल करने के लिए दिल-दिमाग का खुलापन जरूरी है। इसी तरह जीवन में स्वस्थ रहना भी उतना जरूरी है। इसके लिए हमें फिटनेस को पहली प्राथमिकता देना चाहिए। जरूरी है कि हमेशा फिटनेस पर वैसे ही ध्यान दिया जाए जैसा परिवार और कारोबार पर दिया जाता है। मैं अपने प्रोफेशनल कामों के साथ वकालत, फ्लाइंग, आइटी बिजनेस और मास्टर्स इन पालिटिकल साइंस की पढ़ाई जैसी बहुत सी चीजें सिर्फ इसलिए कर पाई हूं क्योंकि मैं फिट हूं और लगातार गतिशीलता में यकीन करती हूं।

मिस इंडिया रह चुकी अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता गुल पनाग ने जीवन में उमंग, उम्मीद और सकारात्मकता जगाने वाली यह बात इंदौर में रविवार को कही। वे एसजीएसआइटीएस के जुबली सभागार में तवलीन फाउंडेशन द्वारा आयोजित अवेकनिंग जाय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थी। इस दौरान हैप्पीनेस जर्नल ‘सोल स्पेस’ का विमोचन भी किया गया।

तनाव को चतुराई से संभालना आना चाहिए

गुल पनाग ने कहा कि हर लम्हा सीखने के लिए है। मैं एक अभिनेत्री, माडल, आंदोलनकारी, निर्मात्री, यायावर, बाइकर, एडवेंचरर, आंत्रप्रेन्योर और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कई क्षेत्रों में काम करती हूं और ये सब मुझे बेइंतहा प्रसन्नता से भरते हैं। मुझे एक जगह ठहरना अच्छा नहीं लगता। एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद दूसरे में इसलिए जुट जाती हूं क्योंकि ऐसा करके ही हम जीवन की सच्चाइयों से दो चार होते हैं। उन्होंने कहा कि तनाव तो बिन बुलाया अतिथि है लेकिन उसे भी चतुराई से संभालना आना चाहिए। इसके लिए हमें प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए और उसे व्यक्त करने में समय लेने से तनाव घटता है।

महिलाओं को खुद पुरुष प्रधान व्यवस्था से बाहर आना होगा

महिला सशक्तीकरण के बारे में गुल पनाग ने मुखरता से कहा कि खुद महिलाओं को पुरुष प्रधान व्यवस्था से बाहर आना होगा। हम ही उसे स्वीकृति देते हैं और फिर हम ही उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं। स्वागत डा. संदीप जुल्का और डा. प्रकाश छजलानी ने किया। संगीता बाफना अमृता नारंग ने हैप्पीनेस बैज लगाया और स्मृति चिह्न भेंट किया। साथ ही राजेश जैन, डा. विशाल अग्रवाल और सोल स्पेस की संपादक राधिका बाफना ने नए अंक की जानकारी दी। तवलीन फाउंडेशन के संयोजक डा. गुरमीत नारंग ने आभार माना। कार्यक्रम का शुभारंभ वीरेंद्र गोयल, डा. भारत रावत और रवि बाफना ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। युवा कलाकार गौतम भावसार ने बांसुरी एक धुन प्रस्तुत की।

साहस और संकल्प से चढ़ी सफलता की सीढ़ी

कार्यक्रम में वैलनेस कोच अरूबा कबीर ने अपनी कहानी सुनाते हुए बताया कि मैंने तीन बार अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की। एक लाइलाज बीमारी के कारण मुझे मालूम था कि मेरी उम्र सिर्फ 27 बरस है। फिर बेहतर इलाज और वैकल्पिक चिकित्साओं से मुझे नया जीवन मिला। इस सच से भी मुझे हिम्मत मिली कि मौत तो हर एक को आनी है उससे मुंह क्यों फेरना। इसी दौरान मैंने तय किया के मैं वैलनेस कोच के रूप में समाज के लिए काम करूंगी। साहस और संकल्प से अरूबा ने जीवन का एक नया सोपान रचा और एक प्रोफेशनल कोच के रूप में सफलता अर्जित की।

गुल पनाग के हैप्पीनेस फंडे

लर्निंग : सीखना कभी न छोड़ें। अपने से छोटे-बड़े, कमतर जिस व्यक्ति से सीखने को मिले लगातार सीखते रहना चाहिए। दरअसल, सीखने की प्रक्रिया ही मनुष्य के लगातार विकास करने की प्रक्रिया है।

फिटनेस : स्वस्थ रहना सफल होने की पहली सीढ़ी है। जब तक हम स्वस्थ नहीं रहेंगे, तब तक किसी भी काम को करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। इसलिए अपनी फिटनेस पर ध्यान दें। अच्छा और संतुलित खाएं, योग-व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाएं।

टेंशन : टेंशन अर्थात तनाव हर किसी को कभी न कभी होता है। इसे संभालना आना चाहिए। कुछ लोग तनाव संभाल नहीं पाते और गलत कदम उठा लेते हैं और जो तनाव से पार पा लेते हैं वे जीवन की सारी जंग जीत जाते हैं।

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