शुक्रवार और शनिवार को हुई रिकार्ड वर्षा की वजह से इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध छलकने की स्थिति बनने पर शनिवार रात ताबड़तोड दोनों बांधों के गेट खोलने पड़े थे। इंदिरा सागर बांध के 20 गेट से 34736 क्यमेक्स पानी छो़ड़ना पड़ा था। इसमें गेट से 32735 क्यूमेक्स तथा पावर हाउस से 2000 क्यूमेक्स पानी छोड़ा था। वहीं ओंकारेश्वर बांध के सभी 23 गेट खोलकर करीब 44 हजार क्यूमेक्स पानी पहली बार छो़डना पड़ा था। इससे ओंकारेश्वर सहित बांध के नीचले इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए थे। इतनी मात्रा में बांध से पानी छोड़ने से ओंकारेश्वर में शिवपुरी और ममलेश्वर मंदिर तक नर्मदा का पानी पहुंच गया था। नर्मदा के रौद्र रूप से हडकंप मच गया था। मोरटक्का में इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर बने पुल से करीब 15 फीट उपर पानी बहने से आसपास की बस्तियों व आश्रमों को पुलिस व प्रशासन की टीम को खाली करवाना पड़ा था। नर्मदा में बाढ़ से कहीं जनहानि की खबर नहीं है। घर-गृहस्थी और फसलों व मवेशियों को नुकसान बड़ी मात्रा में हुआ है।
नर्मदा का जलस्तर घटने से राहत
शनिवार देर रात के बाद बांध के जलाशयों में पानी के स्तर में सुधार के बाद रविवार सुबह मोरटक्का में नर्मदा के पुल से करीब पांच फीट नीचे पानी चला गया था। यहां नर्मदा का खतरे का स्तर 163 मीटर है। पानी उतरने के बाद पुल की रैलिंग और सड़क को क्षति पहुंची है। हल्के वाहनों को एक्वाडक्ट पुल से डायवर्ट किया गया है। दोपहर बाद नर्मदा का जलस्तर तेजी से घटने लगा। रविवार दोपहर में इंदिरा सागर के 20 गेट और पावर हाउस से 15144 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा था। वहीं ओंकारेश्वर बांध के 23 गेटों की ऊंचाई घटा कर 17500 क्यूमेेक्स पानी छोड़ा जा रहा था। इससे ओंकारेश्वर में नर्मदा के जलस्तर में कमी आने से लोगों को कुछ राहत और भय कम हुआ है।
भारी वाहन किए डायवर्ट
रविवार सुबह से खंडवा से इंदौर के वाहनों को देशगांव व इंदौर से खंडवा के वाहनों को तेजाजी नगर से डायवर्ट कर किया गया है। शनिवार को नर्मदा 165 मीटर को खतरे के निशान को लांघा तो आवागमन पर रोकना पड़ा था। वाहन मोरटक्का के एक्वाडक्ट पुल पर से होकर बड़वाह की ओर आवाजाही कर रहे है। वहीं भारी वाहन खरगोन, धामनोद होते हुए एबी रोड़ से इंदौर आवाजाही कर रहे है।
दस वर्ष बाद रिकार्ड उफान
नर्मदा नदी में करीब दस साल बाद इतना उफान देखने को मिला है। इससे पूर्व 18 अगस्त 2013 को ओंकारेश्वर बांध के 23 गेट चार मीटर तक खोल कर करीब 38 हजार क्यमेक्स पानी छोड़ा गया था। इससे नर्मदा नदी मे आई बाढ़ वर्ष 1961 के बराबर ही थी। जब नर्मदा नदी का जलस्तर 172.100 मीटर तक पहुंच गया था। तब नर्मदा नदी पर मोरटक्का में बना पुल एक सप्ताह तक बंद रहा था। इस बाढ़ ने खेडीघाट, मोरटक्का,कटार में भयानक तबाही मचाई थी। कटार गांव तो पूरी तरह बाढ़ की भेंट चढ़ गया था। कटार को वर्ष 1961 में नर्मदा किनारे से हटाकर ऊपर एक पहाड़ पर बसाया गया था। मोरटक्का और खेड़ीघाट में भी भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद 1971 में आई बाद में नर्मदा नदी का जलस्तर 171. 680 मीटर तक पहुंच गया था। वर्ष 1984 की बाढ़ में 170.640 मीटर, वर्ष 1994 में 170.00 मीटर वर्ष 2003 में जलस्तर 168.690 मीटर तक पहुंच चुका था। वहीं दस वर्षों के बाद शनिवार को बांध से नर्मदा नदी में रिकार्ड 44 हजार क्यूमेक्स पानी छोड़ने से जलस्तर 172.00 मीटर से उपर पहुंच गया था।
बादल फटने से जलाशय का स्तर बढ़ा
वर्षा थमने और उपरी क्षेत्र से पानी की आवक घटने पर बांध से छोड़े जा रहे पानी की मात्रा को घटा दिया है। शुक्रवार और शनिवार को रिकार्ड वर्षा हुई है। बादल फटने से तेजी से जलाशय का स्तर बढ़ा। इसे नियंत्रित करने के लिए करीब 34 हजार क्यमेक्स पानी छोड़ना पड़ा। अब बांध का जलस्तर 261.46 मीटर तक आ गया है। 20 गेट से करीब 15 हजार क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। हांडिया से आवक 11800 क्यूमेक्स रह गई है। आवक घटने के साथ बांध के गेट भी कम किए जाएंगे।
अशोक कुमार सिंह, परियोजना प्रमुख इंदिरा सागर बांध
पुल की जांच के लिए एनएचएआइ लिखा पत्र
स्पेशल सिस्टम बनने से क्षेत्र में जोरदार बरसात हुई है। इससे ओंकारेश्वर बांध से रिकार्ड 44 हजार क्यमेक्स पानी छोड़ने के बाद अब स्थिति नियंत्रण में है। नर्मदा का जलस्तर घट रहा है। मोरटक्का पुल की जांच के लिए एनएचएआइ को पत्र लिखा है। बाढ़ से हुई नुकसानी के लिए टीम गठित कर सर्वे करवाया जाएगा।
अनूप कुमार सिंह, कलेक्टर
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