इंदौर,। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने मध्यप्रदेश सकल अनाज, दलहन-तिलहन महासंघ के आव्हान पर कृषि उपज मंडी समिति की विभिन्न विसंगतियों को दूर करने और मध्यप्रदेश मे मंडी शुल्क कम करने की मांग को लेकर की जा रही हड़ताल का समर्थन कर दिया है। एसोसिएशन ने राज्य सरकार से मप्र में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग की है। मौजूदा मंडी टैक्स जो 1.50 रुपये है उसे घटाकर कृषि उपज पर मंडी शुल्क की दर 0.50 पैसे करने की मांग भी की है।
आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने हड़ताल के समर्थन का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व वर्षों मे राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन- तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, चना, मटर आदि पर मंडी शुल्क से छूट दी जाती रही है। बीते दिनों दाल महंगी होने पर केंद्र के निर्देश पर सरकार ने आयातित तुवर को ही मंडी शुल्क से राहत दी। जो न्याय संगत नहीं है।
सरकार द्वारा अंतिम बार दिनांक 01 अगस्त 2018 से 31 जुलाई 2019 तक छूट प्रदान की थी, 01 अगस्त 2019 से राज्य के बाहर से मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगने के कारण पिछले साढ़े तीन वर्ष मे मध्यप्रदेश मे दाल उद्योगो की हालत एकदम दयनीय हो गई है। सरकार केवल आश्वासन पर आश्वासन दे रही है, किन्तु अभी तक इस पर निर्णय नहीं लिया जाना समझ से परे है।
मध्य प्रदेश सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री कमल पटेल ने लगभग 17 माह पूर्व दिनांक 25 अप्रैल 2022 को ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की मीटिंग मे यह घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश के कृषि आधारित दाल उद्योगो के हित मे राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट स्थाई रूप से प्रदान की जाएगी, किन्तु आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
इसी प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भी दिनांक 15 दिसंबर 2022 को संस्था के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर मंडी शुल्क से छूट दिए जाने का अनुरोध किया था, तब भी मुख्यमंत्री ने अतिशीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने का आश्वासन दिया था। साथ ही दिनांक 17 दिसंबर 2022 को भी मुख्यमंत्री से पुनः मुलाकात कर मंडी शुक से छूट देने का अनुरोध किया था।
विदेशी कारोबारियों को बुला रहे स्थानीय को भूले
दाल मिल एसोसिएशन ने कहा कि सरकार विदेश से कारोबारियों के लिए लाल कालीन बिछा रही है और स्थानीय को भूल रही है। अग्रवाल ने कहा कि एक ओर राज्य सरकार मध्यप्रदेश मे ग्लोबल समिट जैसे आयोजन कर देश विदेश के कारोबारियों को मध्य प्रदेश मे उद्योग-धंधे स्थापित करने हेतु आमंत्रित कर, उन्हे हर प्रकार की सुविधा देने की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के परंपरागत कृषि आधारित दाल उद्योगो की अनदेखी कर उन्हे प्रदेश से बंद करने एवं पलायन करने की ओर अग्रसर कर रही है।
गत 4 वर्ष में प्रदेश मे दाल इंडस्ट्रीज़ का उत्पादन 40% तक घट गया है, कुछ दाल इंडस्ट्रीज़ बंद होने की कगार पर है, तो कुछ अन्य प्रदेशों मे पलायन के लिए मजबूर है। मध्य प्रदेश मे दाल उद्योगो को बचाने के लिए अतिशीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने की आवश्यकता है। अग्रवाल ने म.प्र. के बाहर से आने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगने के कारण प्रदेश के दाल उद्योगों पर होने वाले विपरीत प्रभावों से अवगत कराते हुए बताया कि म.प्र. में मंडी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों गुजरात के – बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, हिम्मतनगर एवं महाराष्ट्र राज्य के – जलगांव, भुसावल, धुलिया एवं नागपुर की दालें म.प्र. में आकर दालें बिक रहीं हैं, क्योंकि वहां मण्डी शुल्क कम है। म.प्र. की दाल इंडस्ट्रीज की दालें मंडी शुल्क के कारण मंहगी होने से दालो की बिक्री कम हो रही हैं तथा प्रदेश की दाल मिलों का उत्पादन धीरे धीरे कम हो रहा है।
म.प्र. में गेहूं, सोयाबीन तथा चना की पैदावार बहुत अधिक होती है, इसलिए तुअर, उड़द और मुंग म.प्र. राज्य के बाहर से मंगवाना पड़ता है। मंडी शुल्क की छूट स्थाई रूप से नहीं मिलने से दाल उद्योगों द्वारा दाल बनाने के लिए म.प्र. के बाहर से कच्चा माल (दलहन) – तुअर/अरहर, उड़द/उरदा, मूंग, मसूर, मटर व चना मंगवाने पर पडोसी राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात के अनुसार ही म.प्र. में पॉलिसी बनाना चाहिए।
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