भोपाल। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त बौद्ध स्तूप की नगरी सांची अब देश की पहली सोलर सिटी के रूप में अपनी पहचान बनाने जा रही है। बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका लोकार्पण करने वाले हैं। सांची को देश की प्रथम सोलर सिटी के साथ नेट जीरो कार्बन सिटी के रूप में विकसित किया गया है। पृथ्वी के सतह के तापमान को नियंत्रित करने के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। विशेषज्ञों के मुताबिक सांची सोलर सिटी में सालाना लगभग 13747 टन कार्बन डाय आक्साईड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कि लगभग 2.3 लाख वयस्क वृक्षों के बराबर है। साथ ही शासन तथा नागरिकों के ऊर्जा संबंधी व्यय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सालाना लगभग 7 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
प्रदेश की पहली ग्रीन सिटी
प्रदेश शासन के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा नीति-2022 का निर्माण किया है। इसमें प्रदेश में स्थित पुरातात्विक महत्व के स्थलों और पर्यटन स्थलों को ग्रीन सिटी के रूप में बदलने की परिकल्पना की गई है। परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम ने अपने अथक प्रयासों से सांची को मध्य प्रदेश की पहली ग्रीन सिटी के रूप में विकसित किया है।
पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
यहां पर यह भी बता दें कि शासन द्वारा सांची शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के साथ ही इको फ्रेंडली सुविधाओं के जरिए पर्यावरण प्रदूषण को कम करके पर्यटन को आकर्षित करने की भी कोशिश की गई है। ‘व्यक्तिगत सामाजिक दायित्व’ की भागीदारी से विभिन्न स्थानों पर सोलर वाटर कियोस्क स्थापित किए गए हैं। इससे सार्वजनिक सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम पहल
गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन भारत समेत पूरी दुनिया में अब बड़ा असर दिखा रहा है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों जैसे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2070 तक नेट जीरो भारत के हर राज्य में एक सोलर सिटी विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ऐतिहासिक धरोहर सांची को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया, जिसमें न केवल सांची शहर की ऊर्जा जरूरतों को नवकरणीय ऊर्जा से पूर्ण करना बल्कि वहां के समस्त नागरिकों को ऊर्जा साक्षर बनाकर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यवहारिक परिवर्तन ला कर ऊर्जा का संरक्षण करना भी शामिल है।
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