भोपाल। अमेरिका की मशहूर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दो प्रतिशत प्रभावशाली विज्ञानियों में भारत के 3,796 विज्ञानियों को जगह दी है। इसमें भोपाल के 33 वैज्ञानिकों को शामिल किया है, जिसमें दो महिला विज्ञानियों ने भी जगह बनाई है। इसमें मैनिट की सहायक प्राध्यापक ज्योति मित्तल और सह प्राध्यापक फौजिया जेड. हक शामिल हैं। इन दोनों ही महिलाओं ने अपने रिसर्च पेपर से सभी को प्रभावित किया है, उनके रिसर्च पेपर को ज्यादा से ज्यादा लोगों ने पढ़ा और पंसद किया है। इन महिला विज्ञानियों से नवदुनिया से बातचीत कर अपने अनुभव साझा किए हैं।
फौजिया नैनो साइंस और नैनो टैक्नोलाजी पर कर रहीं काम
मैनिट की सह प्राध्यापक फौजिया हक लगातार चार वर्ष से इस सूची में अपना नाम दर्ज करा रही हैं। उन्होंने बताया कि जो भी रिसर्च होता है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपलोड होता है। इसी के साथ देश-विदेश के रिसर्च रिव्यू भी इसमें जोड़े जाते हैं। जिस वैज्ञानिकों के पेपरों को ज्यादा पढ़ा जाता है, उन्हें इस लिस्ट में जगह दी जाती है। मैंने नैनो साइंस, नैनो टेक्नोलाजी पर काम किया है। इस तकनीक की मदद से सोलर सैल बनाए हैं, जिसकी दक्षता बहुत ज्यादा है। तेज गैस सेंसर बनाए हैं। साथ ही वाटर फिल्टर तैयार किए हैं जो हैवी डाई को अलग करती है। पानी को इस तकनीक की मदद से साफ किया जा सकेगा। मोबाइल रेडिएशन को रोकने के लिए एक स्क्रीन बनाई है, जो आंखों की सुरक्षा करेगी।
ज्योति के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पढ़े गए पचास रिसर्च पेपर
वहीं मैनिट की सहायक प्राध्यापक ज्योति मित्तल भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की सूची में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं हैं। वह बताती हैं कि मैं वेस्ट पानी को शुद्ध करने के लिए काम कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेरे पचास पेपर पढ़े गए हैं। इन पेपरों को पढ़ने के हिसाब से मेरी रैंकिंग बनी है। मैं वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट पर रिसर्च करती हूं। मैं बीस वर्ष से इस रिसर्च पर काम कर रही हूं। मेरे रिसर्च के जरिए कम खर्चे से वेस्ट वाटर को उपयोगी बनाया जा सकता है। 2016 से लगातार स्टैनफोर्ड की सूची में मेरा नाम शामिल हो रहा है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.