भोपाल। ठगी के लिए सायबर ठग नए-नए पैंतरे अपनाते रहते हैं लेकिन शहर में आनलाइन ठगी का ऐसा मामला सामने आया है जिसमें शातिर ठग ने 21 वर्षीय युवती को आनलाइन एप पर बातों में फंसाकर कैंसर के उपचार के नाम पर चार साल तक रुपये लिए। इस दौरान उसने धीरे-धीरे युवती से 37 लाख 88 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए। बाद में उधार दिए रुपये वापस मांगने पर नहीं देने की बात कहकर मोबाइल बंद कर लिया। ठगे जाने का एहसास होने पर युवती ने प्रकरण दर्ज कराया है।
साइबर क्राइम एसआइ विवेक आर्या ने बताया कि छात्रा इंजीनियरिंग करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। वह हाउसिंग बोर्ड कालोनी ऐशबाग में परिवार के साथ रहती है। पिता शासकीय अधिकारी है। वर्ष जनवरी 2019 में उसने परीक्षा की तैयारी के अलावा अन्य क्षेत्रों में बेहतर विकल्प के लिए अंग्रजी भाषा मजबूत करने के लिए आनलाइन एप (ओपन टाक) डाउनलोड कर लाग इन किया। इस एप पर मुफ्त में नामचीन लोगों से बात करने का मौका मिलता हैं, सारा संवाद अंग्रेजी में होता है। यहां युवती की पहचान सांई तेजा शर्मा नाम के युवक से हुई। दोनों के बीच लंबी चैटिंग हुई। बाद में आरोपित ने पीड़िता से उसका मोबाइल नंबर ले लिया और बातचीत करने लगा।
एक-दो हजार रुपये से उधार की शुरुआत
चैटिंग और बातचीत के दौरान युवक के बुद्धिमत्ता और समझ से पीडिता उस पर काफी भरोसा करने लगी। इस बीच सांई तेजा ने युवती से पहले एक-दो हजार रुपये उधार लेना शुरु किया, जिन्हें वह वापस भी कर देता था। बाद में जब युवती पूरी तरह से उसके झांसे में फंस गई तो उसने बड़ी दो लाख और एक लाख रुपये मांगने लगा और युवती उसकी बातों में आकर रुपये देने लगी थी। इस तरह से करीब चार साल तक वह रुपये देती आ रही थी। करीब छह माह पहले युवती ने रुपये वापस मांगे तो वह आरोपित ने टरकाना शुरु कर दिया और बाद में उसने इंकार कर दिया।
भावानात्मक रुप से फंसाया, असली नाम तक नहीं पता
आरोपित ने युवती को भावनात्मक रुप से फंसाकर रुपये मांगे। उसने बताया कि, मुझे आखिरी स्टेज का कैंसर हो चुका है, इलाज के लिए रुपये नहीं है। इलाज नहीं हुआ तो तिल-तिलकर मेरी मौत हो जाएगी। सहानुभूति में युवती ने उसे इलाज के नाम पर रुपये देना शुरू कर दिए। पुलिस का अनुमान है, कि उसने अपने आपको जिस नाम से परिचय दिया था, वह भी फर्जी हो सकता है। आरोपित कभी भी युवती से मिला नहीं है, ऐसे में उसके घर का पता, फोटो तक उपलब्ध नहीं है।
पिता ने अपने खाते में जोड़ रखा था बेटी का नंबर
पिता ने अपनी बेटी का नंबर बैंक में दर्ज करा रखा था। इसके चलते बेटी का यूपीआई पिता के खाते से जुड़ गया और वह घर के मुख्य खाते से भुगतान करने लगी। रुपये निकलने के मैसेज भी भी बेटी के नंबर पर आते थे, इससे पिता को जानकारी तक नहीं हुई। इधर, जब आरोपित ने रुपये देने से इंकार कर दिया तो छात्रा ने घबराकर पूरा घटनाक्रम अपने पिता को बताया। उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई, वह मानसिक अवसाद में चली गई थी। पिता के समझाने के बाद वह बड़ी मुश्किल से एफआइआर कराने को राजी हुई है।
दक्षिण भारत का है आरोपित
जांच अधिकारी आर्या ने बताया कि आरोपित तमिल भाषा में भी छात्रा से बात करता था, अनुमान है कि वह दक्षिण भारत वहां भी तमिलनाडु का हो सकता है। पीड़ित के पास उसका मोबाइल नंबर और खातों की जानकारी ही थी। खातों की जानकारी बैंक से मांगी गई हैं जिसके आधार आरोपित तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
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