बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक चिकित्सक की याचिका पर सुनवाई के बाद राहत दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता चिकित्सक के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए सचिव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता चिकित्सक के अभ्यावेदन पर शीघ्र निराकरण करने व निलंबन भत्ता का भुगतान का निर्देश दिया है।
डा वंदना भेले ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व अधिवक्ता घनश्याम शर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा है कि वे मुख्य अस्पताल अधीक्षक के पद पर जिला बेमेतरा में पदस्थ थी। उनके द्वारा स्थानांतरित स्थल, जिला-दुर्ग में विलंब से ज्वाइनिंग दिये जाने पर सचिव, स्वास्थ्य विभाग, रायपुर ने 13 फरवरी 2023 को उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया।
इसके पश्चात् 21 मार्च 2023 को सचिव, स्वास्थ्य विभाग द्वारा उन्हें आरोप पत्र जारी कर दिया। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने हाई कोर्ट के पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता डा वंदना भेले द्वारा पारिवारिक परेशानियों के कारण स्थानांतरित स्थल पर विलंब से ज्वाइनिंग दी थी।
उनके द्वारा जानबूझकर आदेश की अवहेलना नहीं की गई थी। अधिवक्ता पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी विरूद्ध यूनियन आफ इंडिया द्वारा सचिव एवं अन्य के वाद का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यदि किसी शासकीय अधिकारी कर्मचारी को सेवा से निलंबित कर 90 दिवस के भीतर आरोप पत्र जारी कर दिया जाता है इसके बाद भी यदि वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीन कर्मचारी को लगातार निलंबित रखना चाहते हैं तो उन्हें निलंबन के 90 दिवस के भीतर लगातार निलंबन में रखे जाने का पर्याप्त एवं विशेष कारण बताते हुए निलंबन के विस्तारण का आदेश जारी किया जाना आवश्यक है। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए निलंबन पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा है। कोर्ट ने सचिव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर शीघ्र निराकरण का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अवहेलना
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के प्रकरण में विभागीय अधिकारियों ने ऐसा ना कर सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था का अवहेलना कर दी है। विभाग द्वारा विस्तारण आदेश जारी किए बिना लंबे समय तक निलंबित रखना नियम विरुद्ध है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार याचिकाकर्ता निलंबन से बहाली की पात्र है। अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता के प्रकरण में सचिव स्वास्थ्य विभाग ने निलंबित कर आरोप पत्र तो जारी किया है पर विस्तारण आदेश जारी नहीं किया है और ना ही कारण बताया है।
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