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Mohd Rafi करने वाले थे Indore में कार्यक्रम प्रशासन ने नहीं दी परमिशन यह थी वजह

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 मोहम्‍मद रफी वैसे तो देश-विदेश में स्‍टेज जो, लाइव कांसर्ट और सिंगिग परफार्मेंस दिया करते थे लेकिन एक सार्वजनिक स्‍थान पर भी उनका कार्यक्रम होने वाला था जो अंतत: टल गया। यह कार्यक्रम मध्‍यप्रदेश के इंदौर में खजराना स्थित नाहरशाह की दरगाह पर होने वाला था। यह किस्‍सा रफी साहब की बहू यास्‍मीन ने एक इंटरव्‍यू के दौरान बताया था। बात वर्ष 1975 की है। यास्‍मीन के मामा इंतजामिया कमेटी के सदस्‍य थे। उन्‍होंने यह इच्‍छा जाहिर की थी कि यदि रफी साहब खुद यहां आकर दो चार नातें गा दें तो कितना अच्‍छा रहेगा। इस पर यास्‍मीन ने कहा सवाल ही नहीं उठता। वो इस तरह से कहीं जाते नहीं हैं और गाते नहीं हैं। यह तो मुश्किल होगा। उन्‍होंने बातों ही बातों में एक दिन रफी साहब से कहा कि डैड, मेरे मामू की ख्‍वाहिश है कि आप एक बार खजराना की मज़ार पर आएं और कुछ प्रस्‍तुति दें। वहां बड़े-बड़े मशहूर कव्‍वाल आते हैं। सुनकर रफी साहब ने कहा, चलो बिस्मिल्‍लाह करते हैं। तुमने पहली बार कोई बात मुझसे कही है तो इसे पूरा करते हैं।

इसके बाद हम लोग बॉम्‍बे से इंदौर पहुंचे। वहां के व्‍यवस्‍थापकों, प्रशासनिक अधिकारियों, कलेक्‍टर, कमिनश्‍नर और पुलिस अधिकारियों से बात की तो उन्‍होंने कहा आप लोग क्‍या बात कर रहे हैं! आप तो रफी साहब को इस तरह समझ रहे हैं जैसे वो बहुत मामूली इंसान हैं कि आपने कह दिया और रफी साहब यहां आकर एक दो नातें गाकर चले जाएंगे। उनके यहां आने की खबर तो आग की तरह फैलेगी और पता नहीं कहां-कहां से कितने लोग यहां उमड़ पड़ेंगे। हमें तो यहां पर पूरी व्‍यवस्‍था करना, भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

आखिर हम किस तरह से स्थिति को संभालेंगे। हम आपको इस कार्यक्रम की परमिशन नहीं देंगे क्‍योंकि इसका आयोजन हमारे लिए रिस्‍की हो सकता है। हां, यदि आपने पहले से बात की होती तो बात कुछ और थी। इस तरह से इंदौर में रफी साहब का वह कार्यक्रम नहीं हो सका लेकिन घरवालों को उनसे धार्मिक नातें सुनना थीं तो उसके लिए घर में एक अलग से आयोजन किया गया। एक शामियाना लगाया गया और पूरे घर के लोगों की फरमाइश पर रफी साहब ने रात भर धार्मिक प्रस्‍तुतियां दीं। इसमें वे प्रस्‍तुतियां शामिल थीं जिन्‍हें सुनने की घर वालों की लंबे समय से इच्‍छा थी। सबको बहुत मज़ा आया

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