इंदौर। पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाले को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को जनहित याचिका दायर हो गई। याचिकाकर्ता ने घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। याचिका में कहा है कि भर्ती परीक्षा के नाम पर इस तरह की गड़बड़ियां पहले भी होती रही हैं। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था बनाई जाए। याचिका में यह आरोप भी है कि भर्ती के नाम पर ग्वालियर के कालेज में परीक्षा पास कराने में करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका रघुनंदनसिंह परमार की ओर से एडवोकेट जीपी सिंह ने दायर की है। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी चयन मंडल की पटवारी संयुक्त भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगा है। गुरुवार को हजारों छात्रों ने इसे लेकर इंदौर के कलेक्टर कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया था। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने इस परीक्षा से होने वाली नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि दस में से सात टापर ग्वालियर के एक ही कालेज से हैं। यह किसी बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा कर रहा है।
भाजपा विधायक का है कालेज
याचिका में कहा है कि उक्त कालेज भाजपा के भिंड विधायक का है। घोटाले की बात सामने आने के बाद इस परीक्षा से होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। जिन अभ्यर्थियों ने ईमानदारी से परीक्षा दी थी, उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।
टापरों के रोल नंबर समान
एडवोकेट सिंह ने बताया कि हमने याचिका में यह भी कहा है कि एक ही कालेज से जो सात टापर आए हैं, उनके रोल नंबर की सीरिज भी 24 से शुरू होती हैै। टापर होने के बावजूद अभ्यर्थियों ने हिंदी में हस्ताक्षर किए हैं। इसमें भी सिर्फ अधूरे नाम लिखे गए हैं।
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