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बारामती सीट: ‘चाचा के खिलाफ लड़ना चुनौती है, लेकिन…’, अजित पवार के खिलाफ मुकाबले पर बोले भतीजे युगेंद्र

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महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव में बारामती सीट पर चाचा और भतीजे के बीच चुनावी मुकाबला देखने को मिलने वाला है. इस सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार का अपने चाचा और एनसीपी के प्रमुख अजित पवार से भिरंत होगी. वहीं, शनिवार को युगेंद्र पवार ने कहा कि, ‘चाचा के खिलाफ लड़ना चुनौती, लेकिन मैं चिंतित नहीं हूं.’

युगेंद्र पवार ने कहा कि अपने चाचा अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ना उनके लिए एक चुनौती है लेकिन वह चिंतित नहीं हैं क्योंकि लोगों की दुआएं और आशीर्वाद उनके साथ है. उन्होंने कहा कि इस बार बारामती के लोगों ने ही उन्हें क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए चुना है. युगेंद्र, अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास के बेटे हैं. यह युगेंद्र का पहला चुनाव है.

अब शरद पवार का आशीर्वाद मेरे साथ है- युगेंद्र

वहीं, पुणे जिले के बारामती में दबदबा रखने वाले पवार परिवार के दो सदस्यों के बीच यह बीते छह महीने में दूसरा चुनावी मुकाबला है. मई में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने बारामती लोकसभा क्षेत्र से अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, सुप्रिया ने अपनी भाभी को करारी शिकस्त देते हुए बारामती सीट बरकरार रखी थी.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना शरद पवार ने 1999 में की थी. जुलाई 2023 में उनके भतीजे अजित पवार के बगावत करने और एकनाथ शिंदे नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी दो भागों में बंट गई थी. पीटीआई को दिए इंटरव्यू में युगेंद्र ने कहा, ‘जब मेरे चाचा ने बारामती से चुनाव लड़ा था, तब पवार साहब का आशीर्वाद उनके साथ था. लेकिन अब उनका आशीर्वाद मेरे साथ है.’

‘असली NCP कौन, इसका सवाल ही नहीं उठता क्योंकि…,’

युगेंद्र ने कहा कि, ‘शरद पवार साहब के पास अधिक अनुभव है, जिससे मुझे प्रोत्साहन मिला है और मेरा हौसला बढ़ा है.’ उन्होंने कहा कि बारामती निर्वाचन क्षेत्र में वह भी मेहनत कर रहे हैं और अपने लिए एक मजबूत जनाधार कायम किया है. उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता सामाजिक कार्य में सक्रिय हैं, वो कुश्ती संघ से जुड़े हैं. यहां उनकी फैक्टरी है.

युगेंद्र ने कहा, मेरे बारामती से चुनाव लड़ने का फैसला मैंने या पवार साहब ने नहीं किया था. यह बारामती के लोग है, जिन्होंने फैसला किया कि मुझे क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि एनसीपी के दोनों गुटों में से कौन असली है, इसका सवाल ही नहीं उठता. क्योंकि पार्टी के संस्थापक शरद पवार हैं और यह लोकसभा चुनाव के नतीजों से भी साबित हो गया.

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