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खंडवा में सहायक सचिव की आत्महत्या के बाद सचिव संगठन मैदान में उतरा, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की

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रतलाम : विगत दिनों एमपी के खंडवा जिले की एक ग्राम पंचायत के सहायक सचिव ने जनपद सीईओ की तानाशाही से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। इसके साथ ही विगत माहों में अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर कई रोजगार सहायक काल के गाल में समा गए हैं। इसी मुद्दे को लेकर अब मध्य प्रदेश पंचायत रोजगार सहायक सचिव संगठन और सचिव संगठन रैली निकाल कलेक्टोरेट पहुंचे और तहसीलदार को सीएम के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में मांग की गई है कि इस घटना की जिम्मेदार सम्बंधित जनपद पंचायत सी.ई.ओ. के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा भोपाल में आयोजित सहायक सचिव महापंचायत में की गई घोषणा अनुसार सहायक सचिवों की स्थापना सेवा नियम सचिव ग्राम पंचायत के समान होगें। उक्त को लागू कर हमारे दिवंगत साथी के परिवार के किसी सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति दी जाए। साथ ही हमारे दिवंगत साथी के परिवार को आर्थिक सहायता के लिए कम से कम 10 लाख रूपये की राशि तुरंत प्रदान की जाए।

प्रदेश में सहायक सचिवों पर आये दिन अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है जिससे जिले के बहुत से सहायक सचिव तनाव एवं मानसिक दबाव के शिकार हो रहे हैं। संगठन का जिला प्रशासन से निवेदन है कि सहायक सचिव ग्राम पंचायत का सबसे छोटा कर्मचारी है, जिसके पास कोई विशेष अधिकार नहीं है, इसलिए किसी भी कार्य को लेकर सीधे सहायक सचिव को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने स्थानीय समस्याओं से भी अधिकारियों को अवगत कराया और उनका निराकरण करने की मांग की।

दूसरे ज्ञापन में बताया कि ग्राम पंचायत के सचिव एवं सहायक सचिव शासन की जनकल्याण योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण कड़ी है एवं ईमानदारी से अपना कार्य कर रहे हैं। जिसका प्रतिफल मिलने की बजाय आये दिन छोटी-छोटी शिकायतों एवं सीएम हेल्पलाइन के नाम पर प्रताड़ित करके निलंबित कर दिया जाता है।

सीएम हेल्पलाइन में अधिकांश शिकायत मांग आधारित होती है। जिसमें प्रधानमंत्री आवास सडक निमार्ण, भूखण्ड आदि की मांग कि जाती हैं जिसका निराकरण नहीं होने पर सचिवों को निलंबित कर दिया जाता है। सोशल मिडिया पर फर्जी शिकायत डालकर जांच के नाम पर अवैध वसूली करने का दबाव डालते है। इनके विरूद्ध कार्यवाही की जाये।

जनपदों में आये दिन जांच के नाम पर सचिव एवं सहायक सचिवों को प्रताड़ित किया जाता है। जबकि निर्माण कार्य सरपंच एवं ग्राम निर्माण समिति द्वारा कराया जाता है और कार्यवाही सिर्फ सचिव पर की जाती है। किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनिमितता नहीं की गई सचिवों एवं सहायक सचिव को तत्काल बहाल किया जाए।

प्रति माह एक तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए। शासन के निर्देशानुसार हाईकोर्ट एवं कमीशनर महोदय के यहां से केस जीतने के बाद भी सहायक सचिवों को पुनः नियुक्ति आदेश नहीं दिये जा रहे हैं, उन्हें तत्काल नियुक्ति के आदेश दिए जाएं। पंचायत सचिव और सहायक सचिव को आयुष्मान कार्ड का लाभ दिये जाने के आदेश होने के बाद भी लाभी नहीं दिया जा रहा हैं। उदारता पूर्वक इसका निराकरण किया जाए। सभी कार्य ऑनलाइन होने के कारण कभी टंकण में मानविय त्रुटि हो जाती है। इस पर तत्काल निलंबित कर दिया जाता है।

पंचायत सचिवों का तीन माह से वेतन रोक रखा है जिसे तत्काल दिलवाया जाये। पंचायत सचिव एवं सहायक सचिव के पदाधिकारियों की तीन माह में एक समन्वय बैठक आयोजित की जाये एवं समस्याओं का निराकरण किया जाये। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत के सचिव एवं सहायक सचिव उपस्थित थे।

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