दुनिया की सबसे भीषण रणभूमि बन चुके यूक्रेन की राजधानी में जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरी दुनिया को महाविनाशकारी युद्ध से बचाने की गंभीर कोशिश की है. महायुद्ध को टालने और शांति लाने के लिए, कीव के मैरिंस्की पैलेस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जेलेस्की के बीच 3 घंटे तक गंभीर बात हुई. पीएम मोदी के इस शांति प्रयास पर यूनाइटेड नेशन ने भी भरोसा जाहिर किया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर मोदी युद्धविराम कराएंगे तो इसका ग्लोबल परिणाम क्या होगा?
30 महीने से बारूदी धमाके झेल रही यूक्रेन की राजधानी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युद्ध को लेकर क्लियर स्टैंड लिया. साफ साफ कहा कि जंग में भारत तटस्थ नहीं है क्योंकि हम शांति के पक्ष में हैं. अब बिना एक भी मिनट गंवाए जेलेंस्की और पुतिन को बातचीत की टेबल पर बैठ जाना चाहिए. समाधान का रास्ता बातचीत और कूटनीति से निकलता है. हमें बिना समय गंवाए उस दिशा में बढ़ना चाहिए. बच्चों की शहादत की जगह को देखकर मेरा मन भरा हुआ है. मैं विशेष रूप से आपसे शांति को लेकर चर्चा करना चाहता हूं. मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि शांति के हर प्रयास में भारत अपनी सक्रिया भूमिका निभाने के लिए तैयार है. अगर इसमें कोई योगदान हो सकता है तो एक मित्र के रूप मैं जरूर करना चाहूंगा.
पीएम मोदी की सब सुनते
इस समय भारत के प्रधानमंत्री मोदी ही वो अकेले शख्स हैं, जिनकी बातों को बाइडेन भी गंभीरता से सुनते हैं और पुतिन भी. पीएम मोदी का वाशिंगटन भी सम्मान करता है और मॉस्को भी. प्रधानमंत्री मोदी को कीव में भी वैसा ही सम्मान मिला. प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की के साथ उनके आधिकारिक निवास मरिंस्की पैलेस में करीब 3 घंटे तक गंभीर मंथन किया और जेलेंस्की के साथ पूरी दुनिया को भरोसा दिलाया कि भारत इस क्षेत्र में शांति के लिए गंभीर और हर मुमकिन कोशिश करेगा. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से यूक्रेन में छिड़ी जंग खत्म करने में मदद मिलेगी.
पीएम मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो यूक्रेन के दौरे पर गए हैं. साल 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जब यूक्रेन की स्थापना हुई थी, तब से लेकर आज तक कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन का दौरा नहीं किया था. अब सवाल ये है कि क्या पीएम मोदी के दखल के बाद करीब 30 महीने से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध थम जाएगा या फिर दुनिया 1991 से पहले चल रहे कोल्ड वॉर के युग में पहुंच जाएगी?
बदलेगा वर्ल्ड-ऑर्डर या शुरू होगा कोल्ड वॉर
ये डर इसलिए है क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद भी रूस और अमेरिका के बीच की जंग खत्म नहीं हुई थी. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के दो साल बाद 1947 में शुरू रूस और अमेरिका के बीच कोल्ड वॉर शुरू हुआ, जो 1991 में सोवियत संघ के पतन तक चला. इस युद्ध को कोल्ड वॉर कहा गया क्योंकि इसमें रूस और अमेरिका जैसी दोनों महाशक्तियों के बीच सीधे तौर पर कोई युद्ध नहीं हुआ लेकिन उनके साथ खड़े कई देश इस जंग में बर्बाद हो गए. क्या रूस और अमेरिका के बीच एक बार फिर कोल्ड वॉर शुरू हो जाएगा? ऐसा ना हो, इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका, रूस और यूक्रेन तीनों के साथ बड़ी संजीदगी से बात कर रहे हैं. बीते कुछ महीनों में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति भवन में बाइडेन के साथ बात कर चुके हैं. मॉस्को के राष्ट्रपति आवास में पुतिन से मीटिंग कर चुके हैं और अब यूक्रेन के राष्ट्रपति भवन मैरिंस्की पैलेस में जेलेंस्की के साथ शांति का स्थाई रास्ता निकाल रहे हैं.
इस युद्ध को सिर्फ हिंदुस्तान रोक सकता है- जेलेंस्की
पीएम मोदी के कीव दौरे पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि भारत अपनी भूमिका निभाएगा. मुझे लगता है कि भारत ने ये पहचानना शुरू कर दिया है कि ये सिर्फ संघर्ष नहीं है, ये एक आदमी का असली युद्ध है और उसका नाम पुतिन है पूरे देश के खिलाफ जिसका नाम यूक्रेन है. आप एक बड़ा देश हैं. आपके पास एक बड़ा प्रभाव है और आप पुतिन को रोक सकते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था को रोक सकते हैं और उन्हें वास्तव में उनकी जगह पर रख सकते हैं यानी अब यूएन को भी भरोसा है कि यूक्रेन युद्ध को विनाशकारी महायुद्ध बनने से सिर्फ हिंदुस्तान रोक सकता है.
ढाई साल की युद्ध में यूक्रेन को कितना नुकसान
यूक्रेनी वेबसाइट कीव इंडिपेंडेंट के मुताबिक 24 फरवरी 2022 से 22 अगस्त 2024 तक यूक्रेन पर हमले के बाद से 6,03,010 रूसी सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं. यूक्रेन ने पिछले ढाई साल में रूस के 8,522 टैंक्स, 16,542 बख्तरबंद गाड़ियां, 17,216 आर्टिलरी सिस्टम, 1,166 रॉकेट सिस्टम, 928 एयर डिफेंस सिस्टम, 367 हवाई जहाज, 328 हेलिकॉप्टर, 13,902 ड्रोन्स, 28 जहाज और 2 सबमरीन बर्बाद किए हैं. यूक्रेन सरकार ने युद्ध में यूक्रेन को हुए नुकसान के पूरे आंकड़े जारी नहीं किए हैं लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका मानता है कि इस युद्ध में अब तक यूक्रेन के 70,000 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई है और घायल सैनिकों की संख्या 1,20,000 से ज्यादा है.
इंटरनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ माइग्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक 15 मिलियन यानी 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर हुए हैं. ये आंकड़ा यूक्रेन की कुल आबादी के एक तिहाई से भी ज्यादा है. इस युद्ध में अब यूक्रेन के 37% घर तबाह हो चुके हैं. इस युद्ध में तबाह हुए इंफ्रास्ट्रक्चर से 500 बिलियन यानी 50000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. इस तबाही को रोकने की गंभीर कोशिश करने के लिए कीव पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेस्की से साफ साफ कहा कि शांति के हर प्रयास में भारत सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि अगर व्यक्तिगत तौर भी इसके लिए वो कोई योगदान दे सकें तो जेलेंस्की और पुतिन दोनों के मित्र की तरह वो ये जरूर करेंगे.
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