भोपाल। राजधानी की एक अदालत ने ट्रैफिक पुलिस के उपनिरीक्षक की हत्या के मामले में आरोपित युवक को दोषी करार देते हुए 7 साल जेल और अर्थदंड की सजा सुनाई है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमिताभ मिश्र की अदालत ने तीन साल पुराने मामले में यह फैसला दिया है। आरोपित उस वक्त एमटेक की पढ़ाई कर रहा था। ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर ने उसकी बाइक का 600 रुपए का चालान काट दिया था, जिससे नाराज होकर उसने चाकू से हमला कर दिया था। हमले में बुरी तरह घायल सब इंस्पेक्टर की 13 दिन तक चले इलाज के बाद मौत हो गई थी। इस प्रकरण में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुधाविजय सिंह भदौरिया ने पैरवी की।
जनसंपर्क अधिकारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 7 अगस्त 2021 को एसआई श्रीराम दुबे एमपी नगर क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात थे। उस दिन उनकी ड्यूटी थाना द्वारा संचालित क्रेन पर थी, जो नो पार्किंग जोन में खड़े वाहनों को उठाने का काम करती है। उसी दौरान उन्होंने ज्योति टाकीज के पास नो-पार्किंग मे खड़ी एक बाइक को क्रेन से उठाकर क्राइम ब्रांच थाना परिसर में लाकर खड़ा कर दिया था।
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थोड़ी देर बाद दोपहर करीब 01 बजे हर्ष मीणा नामक युवक (जिसने वहां बाइक खड़ी की थी) बाइक लेने के लिए क्राइम ब्रांच के परिसर में बने जब्ती के वाहनों के यार्ड में पहुंचा। एसआई ने उससे 600 रुपये का चालान बनवाने को कहा, जिसको लेकर उसकी एसआई से बहस हो गई थी। वह उस वक्त तो चालान रसीद कटवाने के बाद बाइक लेकर वहां से चला गया। बाद में वह फिर आया और क्राइम ब्रांच थाने के गेट के पास खड़ा हो गया। उसी दौरान उसने एसआई के पास आकर फिर उनसे बहस की और अचानक चाकू निकालकर उनके पेट में घोंप दिया।
घायल एसआइ को उपचार के लिए जेपी अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां से कुछ समय बाद उनकी छुट्टी कर दी गई थी। पेट में गहरा घाव होने कारण दो दिन बाद एसआई की हालत बिगड़ने लगी थी। घटना के तेरह दिन बाद एसआई दुबे की मौत हो गई थी। न्यायालय ने आरोपित को भारतीय दंड विधान की धारा 304 भाग दो में 7 वर्ष के कारावास और 3 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
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