Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

प्रदूषण नियंत्रण मंडल व कलेक्टर जबलपुर सहित अन्य को नोटिस

12

जबलपुर। देश की राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानि एनजीटी ने संस्कारधानी जबलपुर के नाला पक्कीकरण घोटाले पर सख्ती बरतते हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच के लिए कमेटी गठित करने की व्यवस्था दे दी है। इस उच्च स्तरीय जांच कमेटी में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, पर्यावरण विभाग के अधिकारी और जबलपुर कलेक्टर शामिल होंगे।

अरबों खर्च होने के बावजूद कार्य पूर्ण क्यों नहीं हो सका

 

यह कमेटी पता करेगी कि बीते 14 वर्ष में अरबों खर्च होने के बावजूद हकीकत की जमीन पर नाला पक्कीकरण कार्य पूर्ण क्यों नहीं हो सका। एनजीटी, दिल्ली के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य अरुण कुमार व पर्यावरणीय सदस्य डा. अफरोज अहमद की न्यायपीठ के समक्ष मामले की संज्ञान आधारित सुनवाई हुई।

 

14 साल से स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम योजना लंबित

आश्चर्य के साथ नाराजगी जताई कि जबलपुर शहर में पिछले 14 साल से स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम योजना लंबित है। इसी के साथ प्रोजेक्ट की ताजा स्थिति की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि वह स्थल निरीक्षण करके ड्रेनेज सिस्टम की वर्तमान स्थिति, उस पर किए गए खर्च और इतने अधिक विलंब का कारण की जांच कर रिपोर्ट सौंपे। मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को नियत की गई है।

 

महत्वाकांक्षी स्टर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट ही फेल

 

एनजीटी, दिल्ली की न्यायपीठ ने ओपन कोर्ट में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पौने 400 अरब जितनी राशि पानी की तरह बह गई लेकिन जबलपुर की जनता को न जो नालों के ओवरफ्लो के कारण वर्षा में जलप्लावन से मुक्ति मिल पाई है और न ही गंदगी व उससे जनित मलेरिया आदि के सबब मच्छरों से निजात। इससे साफ है कि महत्वाकांक्षी स्टर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम प्रोजेक्ट ही फेल साबित हुआ है। वह काजगों में कैद रह गया है। एक ओर नालों के किनारे गंदगी से जबलपुरवासियों का जीना मुहाल बना हुआ है, दूसरी ओर सरकारी धन की होली खेल ली गई है।

 

14 वर्ष पूर्व ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया

 

जबलपुर के लिए नासूर बन चुके बड़े नालों को पक्का करने का ठेका 374.99 करोड़ में दिया गया था। इसके लिए टेंडर वर्ष 2010 को जारी हुआ। ढाई साल में इसको पूरा करके देने की शर्त थी, लेकिन 14 साल बाद भी प्रोजेक्ट अधूरा है। पांच बड़े और 130 छोटे नालों को सीमेंटेड करना था। अभिलेख के हिसाब से ही अभी 30 से 40 प्रतिशत काम अब तक शेष है।

 

इन बिंदुओं पर फोकस करना होगी जांच

 

एनजीटी, दिल्ली ने हाईलेबल इंक्वायरी कमेटी को निर्देश दिए हैं कि जल प्लावन और उसे रोकने नाला निर्माण कार्यों का परीक्षण करे। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता और उसके उपयोग की क्षमता का परीक्षण करे। कमेटी इस बात का भी परीक्षण करे कि पूरे प्रोजेक्ट में अब तक कितना मद स्वीकृत हुआ है और कितना निवेश हुआ है। कमेटी जांच के बाद इस बात का कारण भी बताएगी कि प्रोजेक्ट को पूरा करने में विलंब क्यों हुआ है। यही नहीं एनजीटी की लार्जर बेंच ने कमेटी को यह कहा कि वह शहर के पेय जलस्रोतों के सैंपल भी इकट्ठा करके उसका परीक्षण केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कराएगी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.