अमेरिका में माता-पिता बच्चों को नियमित रूप से डाइट सप्लिमेंट के तौर पर मेलाटोनिन दवा दे रहे हैं, जिससे बच्चे रात में अच्छी और गहरी नींद सो सकें। इसका चलन तेजी से बढ़ा है, बिना यह जांचे- परखे कि सप्लिमेंट कितना सुरक्षित और प्रभावशील है। हालांकि, कई देशों में मेलोटोनिन को लेने के लिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन यानी नुस्खे की जरूरत होती है, लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं है। वैसे, एफडीए ने हर आयु वर्ग के हिसाब से दवा की | डोज तय कर रखी है और सप्लिमेंट उसी मात्रा में देना होता है, लेकिन अमेरिकी माता-पिता पांच साल से भी कम आयु में सप्लिमेंट के तौर पर तय मानक से तीन-चार गुना (दो मिली ग्राम तक) ज्यादा यह दवा दे रहे हैं।
कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में स्लीप एंड डेवलमेंट साइंटिस्ट हैलॉरेन हार्टस्टीन के अनुसार, माता- पिता वास्तव में नहीं जानते कि ये सप्लिमेंट देते समय वे बच्चों को क्या दे रहे हैं। इसका ज्यादा और नियमित इस्तेमाल फिजियोलॉजी व स्कैंडियन रिदम यानी शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक तौर पर दिक्कतें बढ़ाता है। ऐसे में बच्चों में कई नकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं, जैसे- दिनभर वे सुस्त रहते हैं। कई बच्चे तो क्लास में भी सो जाते हैं।
रात में नींद इतनी गहरी होती है कि बिस्तर गीला कर देते हैं। करीब ढाई लाख बच्चे इससे बुरी तरह प्रभावित हैं और दो बच्चों की तो ओवरडोज से मौत भी हो चुकी है। यह सप्लिमेंट सोने-जागने का प्राकृतिक चक्र हमेशा के लिए प्रभावित कर रहा है, इसलिए बच्चे में सप्लिमेंट के साथ दवा लेकर सोने के बजाय खुद से सोने और उठने की आदत बनाएं।
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