इस्लामाबाद: पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने 2019 में राजद्रोह के मामले में सुनाई गई मौत सजा के खिलाफ पूर्व सैन्य तानाशाह ( परवेज मुशर्रफ द्वारा की गई अपील पर सुनवाई करने का शुक्रवार को फैसला किया। मुशर्रफ ने चार साल पहले यह अपील दाखिल की थी। उनका इस साल पांच फरवरी को निधन हो गया। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने अपनी खबर में लिखा, ‘‘ पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश काजी फैज इशा की अगुवाई वाली चार सदस्यीय बड़ी पीठ ने उस विशेष अदालत को भंग किये जाने के फैसले के विरूद्ध अपील पर सुनवाई की जो पहले मुशर्रफ राजद्रोह मामले की सुनवाई कर रही थी।”
न्यायमूर्ति इशा, न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह, न्यायमूर्ति अमीनुद दिन खान और न्यायमूर्ति अतहर मिनाल्लाह की पीठ ने लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विभिन्न बार और वकीलों की याचिकाओं पर सुनवाई की। लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई को अमान्य करार दिया था। न्यायमूर्ति वकार अहमद सेठ, न्यायमूर्ति नजर अकबर और न्यायमूर्ति शाहिद करीम की विशेष न्यायाधीश अदालत ने 17 दिसंबर, 2019 को एक के मुकाबले दो के मत से मुशर्रफ को संविधान का उल्लंघन करने को लेकर अनुच्छेद छह के तहत राजद्रोह का दोषी पाया था और उन्हें उनकी गैर हाजिरी में मृत्युदंड सुनाया था।
इस फैसले पर देश की शक्तिशाली सेना खफा हो गयी थी। पाकिस्तान के पिछले 75 साल के अस्तित्व में ज्यादातर समय सेना का ही सत्ता में कब्जा रहा है। पाकिस्तान में यह पहली बार था कि एक पूर्व शीर्ष सैन्य अधिकारी को ऐसी सजा का सामना करना पड़ा। बाद में लाहौर उच्च न्यायालय ने इस सजा को निरस्त कर दिया। अखबार के अनुसार मुशर्रफ की मौत के नौ महीने बाद शुक्रवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि क्यों पिछले चार सालों में अपील पर सुनवाई तय नहीं की गयी । शीर्ष अदालत ने अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि चैंबर में एक न्यायाधीश के आदेश के बावजूद यह अपील पिछले चार सालों में सुनवाई के लिए तय नहीं की गयी। अखबार के अनुसार प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि हम अपने तंत्र के प्रति जवाबदेह नहीं हैं तो हम दूसरों के प्रति कैसे जवाबदेह होंगे।”
मुशर्रफ के वकील सलमान सफदर ने कहा कि फरवरी, 2020 में न्यायमूर्ति उमर अता बांदियाल ने बड़ी पीठ के सामने रजिस्ट्रार की आपत्ति के खिलाफ पूर्व सैन्य तानाशाह की अपील की सुनवाई की तारीख तय करने को कहा था लेकिन यह मामला पिछले चार सालों तक सूचीबद्ध नहीं किया गया। वकील ने कहा कि यह अपील सुनवाई की निरंतरता थी और इसे सुना जाना चाहिए था। मुशर्रफ ने अपने वकील सफदर के माध्यम से याचिका दायर की दोषिसिद्ध को खारिज करने का अनुरोध किया था।
पूर्व सैन्य तानाशाह ने कहा था कि यह सुनवाई संविधान एवं अपराध दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 का उल्लंघन करते हुए की गयी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा, ‘‘ इस मामले की सुनवाई 21 नवंबर तक स्थगित की गयी है।” सन् 1999 में कारगिल युद्ध के सूत्रधार मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद फरवरी, 2023 में दुबई में निधन हो गया। मुशर्रफ के विरूद्ध आरोप 2007 में आपातकाल लगाने से संबंधित थे। उसके बाद दर्जनों न्यायाधीश को घरों में नजरबंद कर दिया गया या बर्खास्त कर दिया गया था। वकीलों ने उसके खिलाफ सड़कों पर खुलकर प्रदर्शन किया था।
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