इंदौर । देवी अहिल्या की नगरी इंदौर में शक्ति के उपासना स्थल भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बने हुए हैं। इस बीच शहर के गुरुनानक कालोनी स्थित वैष्णोदेवी माता मंदिर भक्तों को कटरा में होने जैसी अनुभूति कराता है। दस हजार वर्गफीट में बने इस मंदिर की बनावट हूबहू कटरा स्थित मंदिर की तरह है। इसमें उसी तरह गुफानुमा रास्ते, जलप्रपात और माता की तीन स्वरूपों की पिंडी विराजमान है।
यहां गर्भगृह में कटरा स्थित मंदिर से लाई गई अखंड ज्योति पिंडियों के दोनों तरफ 15 वर्षों से प्रज्ज्वलित है। खास बात है कि हर दिन मां को पहनाने के लिए शिर्डी से गुलाब के फूलों की माला लाई जाती है। हर दिन पूजन, भोग और आरती भी उसी तरह की जाती है। उनकी पांच बार आरती और तीन बार भोग लगाया जाता है। मंदिर का निर्माण 2009 में सुरेंद्र कौर ग्रोवर ने कराया था।
कटरा जैसा भैरव बाबा मंदिर भी
मुख्य ट्रस्टी मनवीरसिंह ग्रोवर बताते हैं कि मंदिर का निर्माण सिर्फ छह माह के भीतर किया गया। यहां महाकाली, सरस्वती और महालक्ष्मी पिंडी विराजमान है। साथ ही उनके स्वरूप भी विराजित किए गए। मंदिर में उसी तरह भैरव बाबा मंदिर है। गुफानुमा मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान गणेश के साथ रिद्धि-सिद्धि के दर्शन होते हैं। थोड़े आगे शिव-पार्वती और गणेशजी की मूर्ति है। यहां हर दिन दो हजार लोग माता के दर्शन करते हैं। पुजारी मयंक शर्मा बताते हैं कि नौ दिनी नवरात्र में डेढ़ लाख से ज्यादा भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
हरसिद्धि मंदिर : बेटी-दामाद को मिल रहा पूजन का अधिकार
हरसिद्धि स्थित हरसिद्धि मंदिर में चतुर्भुज स्वरूप में महिषासुर मर्दिनी विराजित हैं। साथ ही गर्भगृह में सिद्धिदात्री और महालक्ष्मी भी अमृत कलश लिए हैं। होलकर रियासत द्वारा संचालित इस मंदिर में पूजन की जिम्मेदारी 1766 से वंशानुगत सनद द्वारा पं. जनार्दन भट्ट को सौंपी गई है। यहां आठ पीढ़ियों से पूजन का अधिकारी बेटी और दामाद को मिल रहा है। यहां नवरात्र में माता का प्रतिदिन नवीन शृंगार किया जाएगा और हवन पूजन होगा।
अन्नपूर्णा माता मंदिर : भक्तों को लुभा रहा नवीन स्वरूप
इंदौर के ख्यात माता मंदिरों में से एक अन्नपूर्णा माता मंदिर का नवीन स्वरूप भक्तों को लुभा रहा है। इस स्थान का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंद महाराज ने वर्ष 1959 में करवाया था। उस समय यहां बने हाथी गेट की ख्याति देशभर में रही है। ट्रस्टी श्याम सिंघल बताते हैं कि नवरात्र में माता का नौ दिन दिन में चार बार शृंगार किया जाएगा। यहां हर दिन शतचंडी महायज्ञ होगा। अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन और शृंगार किया जाएगा।
बिजासन माता मंदिर : एक हजार साल पुराने मंदिर में मिलता सौभाग्य का आशीष
इंदौर का सबसे पुराना बिजासन माता मंदिर एक हजार साल पुराना बताया जाता है। यहां माता के नौ स्वरूप विराजित हैं। कहा जाता है कि विवाह के बाद दर्शन से माता से सौभाग्य का आशीष मिलता है। मंदिर का निर्माण 1760 में महाराजा शिवाजीराव होलकर ने कराया था। पुजारी सतीश वन गोस्वामी बताते हैं कि नवरात्र में लाखों श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आएंगे। इस दौरान नौ दिनी मेला लगेगा।
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