ग्वालियर। अब जिस तरह से अपराधी अलग-अलग टेक्नीक अपनाकर अपराध करते हैं। टेक्नोलाजी का उपयोग अपराध में हो रहा है, पुलिस को भी इंवेस्टिगेशन में टेक्नोलाजी को शामिल करना होगा। इंवेस्टिगेशन में टेक्निकल डिवाइस और एप्स आपके मददगार बनेंगे, जितने भी इंवेस्टिगेशन से जुड़े टेक्निकल डिवाइस, एप्स हैं उनका उपयोग करें। प्रभावी और अच्छी इंवेस्टिगेशन में यह मददगार बनेंगे। मप्र पुलिस ने ऐसे एप्लीकेशन शुरू किए हैं, जो इंवेस्टिगेशन में मददगार साबित होंगे। यह बात स्पेशल डीजी सीआइडी जीपी सिंह ने शनिवार को सीसीटीएनएस, इ-रक्षक और आइसीजेएस पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में कही।
इंवेस्टिगेशन में सीसीटीएनएस और अन्य एप्लीकेशन के उपयोग को बढ़ाने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें स्पेशल डीजी जीपी सिंह ने इंवेस्टिगेशन में टेक्नीक के इस्तेमाल पर जोर दिया। ग्वालियर जोन के एडीजी डी. श्रीनिवास वर्मा ने कहा कि जब भी कोई समस्या आती है तो उसका समाधान भी साथ में आता है। इसी प्रकार सीसीटीएनएस में जो कमियां हैं, उसे हम सभी को मिलकर दूर करना है। जब कोर्ट से कोई आरोपी बरी होता है तो इसका मुख्य कारण कमजोर विवेचना होती है। आपको अपनी विवेचना में साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन का उपयोग करना है। जब आप किसी भी केस में विवेचना करते हैं तो सबसे पहले जो भी विवेचक अधिकारी हैं उसे एक इंवेस्टिगेशन प्लान बनाना चाहिए।
इस केस में क्या करना है, इसमें क्या चाहिए। इससे इंवेस्टिगेशन साइंटिफिक होगी। जब भी कोई विवेचक केस में स्टेटमेंट लेता है तो हमेशा वीडियो स्टेटमेंट लेना चाहिए, इससे आपके द्वारा ली गई स्टेटमेंट काफी हद तक प्रभावी साबित होगी। एफएसएल के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला ने कहा कि एफएसएल लगातार विवेचना में पुलिस अधिकारियों को सहयोग करता आ रहा है। किसी भी सामान्य प्रकरण के आर्टिकल को एफएसएल में जांच के लिए नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह के अनावश्यक आर्टिकल भेजने से लैब में पेंडेंसी बढ़ती है। एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने कहा साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन की तरफ अब आ रहे हैं। यह इंवेस्टिगेशन को मजबूत बनाएगा।
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