भगवान काल भैरव को नगर कोतवाल के रूप में भी जाना जाता है। डोल ग्यारस पर भगवान कालभैरव नगर में प्रजा का हाल जानने निकलते हैं। कहा जाता है कि भगवान महाकाल के दर्शन करने के बाद कालभैरव के दर्शन करने पर ही बाबा महाकाल के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं। इसलिए भगवान महाकाल के दर्शन करने के पश्चात लोग कालभैरव के दर्शन करने पहुंचते हैं। यहां मदिरा भी चढ़ाई जाती है।
आज सोमवार को शाम 4 बजे भैरवगढ़ में भगवान कालभैरव की सवारी निकलेगी। सवारी से पूर्व बाबा का आकर्षक शृंगार किया जाएगा व परंपरानुसार सिंधिया परिवार की ओर से पगड़ी धारण करवाई जाएगी। शाम 4 बजे कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम भगवान कालभैरव का पूजन करेंगे, पश्चात सवारी शुरू होगी। सवारी भैरवगढ़ होते हुए सिद्धवट पहुंचेगी, जहां पूजन किया जाएगा। सवारी को लेकर मंदिर में फूलों से सजाया गया है। विद्युत रोशनी भी की गई। सवारी में भगवान कालभैरव की पालकी, बैंड, ढोल, ध्वज, घोड़े आदि होंगे। भ्रमण पश्चात सवारी रात्रि पुन: कालभैरव मंदिर पहुंचेगी। यहां आरती पूजा होगी।
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