उज्जैन, नईदुनिया प्रतिनिधि। पंचांग की गणना के अनुसार तीन सितंबर की रात आठ बजकर 22 मिनट से देवगुरु बृहस्पति वक्री हो गए हैं। गुरु के वक्र होते ही पूर्वोत्तर दिशा में और दक्षिण के विशेष भूभाग में मौसम का परिवर्तन दिखाई देगा। यही नहीं अलग-अलग क्षेत्र में विशेषकर बैंकिंग, कृषि, विदेश नीति, आदि क्षेत्रों में विशिष्ट प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। जिन जातकों के कार्य बिगड़ रहे हैं, उनके कार्य में सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति होने का भी अवसर मिलेगा। बता दें वर्तमान में गुरु राहु के साथ मेष राशि में गोचरस्थ है।
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बृहस्पति के वक्री होने से बैंक की नीतियों में परिवर्तन होगा। वहीं इंश्योरेंस पॉलिसी के सेक्टर में भी दीर्घकालिक निवेश के संदर्भों का चिंतन होने से अलग प्रकार की नीति का समायोजन होगा। साथ ही बाजार की परंपरागत नीति में भी आधुनिकता का परिवेश दिखाई देगा जिससे परिवर्तित स्थितियां सामने आएंगी।
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