जल्द ही त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है और इस दौरान लोगों को अधात्यमिकता की ओर झुकाव बढ़ जाता है। ऐसे में जीवन शैली को लेकर भी काफी बदलाव की जरूरत होती है। मानसिक शांति के लिए लोग जहां ध्यान, साधना, मंत्र जाप करते हैं, वहीं त्योहारी सीजन में खानपान को लेकर भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
यदि आप पूजा-पाठ करते हैं तो किसी भी क्रोध से बचना चाहिए। संभव हो तो ध्यान के दौरान मौन रहना चाहिए। बहुत ज्यादा जोर से चिल्ला कर बात नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शारीरिक ऊर्जा का नाश होता है।
भोजन की बर्बादी न करें साधक
कभी भी भोजन की बर्बादी नहीं करना चाहिए। जितनी भूख लगी है, उससे कम ही खाना चाहिए। अन्न की बर्बादी से अन्नपूर्णा शक्ति का नाश होता है। अन्न का अपमान कभी नहीं करना चाहिए।
बार-बार उंगलियां न चटकाए
यदि आप ध्यान साधना करते हैं तो हार या पैर की हड्डियों को बार-बार चटकाने से बचना चाहिए। दरअसल, माला जाप करने से या एक जैसी अवस्था में बैठे रहने के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। पौराणिक मान्यता है कि बार-बार हड्डियों को चटकाने वाला रोगी तथा दरिद्री होता है।
शुद्धि कार्य के समय मुंह बंद रखें
शारीरिक शुद्धि के लिए नित्य कर्म करते समय बोलने से बचे। इस दौरान गुटखा खाने या मोबाइल पर बात करने से बचें क्योंकि ऐसा करने से जिव्हा संस्कार समाप्त हो जाता है। जिव्हा से जपे गए मंत्र कभी सफल नहीं होते है।
पूजा के दौरान साफ सफाई
पूजा या ध्यान करते समय शारीरिक साफ सफाई का ध्यान रखें। मंत्र जाप करते समय माला भूमि से स्पर्श नहीं होना चाहिए। पूजा में ताजे पुष्प का ही इस्तेमाल करें।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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