भोपाल। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के विस्तार की मांग लगातार उठ रही है। इस बीच भोपाल से लखनऊ के बीच एक वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की मांग उठ रही है। अभी रानी कमलापति व भोपाल स्टेशन से लखनऊ तक पुष्पक एक्सप्रेस, भोपाल-प्रतापगढ़ एक्सप्रेस समेत एक दर्जन ट्रेनें चलती हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर ट्रेनें साप्ताहिक है। इनमें कन्फर्म टिकट नहीं मिलते। इस वजह से यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। कई मौकों पर तो अलग-अलग टुकड़ों में यात्रा करनी पड़ती है।
असल में भोपाल से गोरखपुर के बीच अभी एक्सप्रेस ट्रेनें औसतन 9 से 10 घंटे लेती हैं। ये ऐसी ट्रेनें हैं जो अधिकतम 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही हैं, लेकिन वंदे भारत एक्सप्रेस की औसतन गति 100 से 110 किलोमीटर प्रति घंटा निकल रही है। एक अनुमान के मुताबिक वंदे भारत एक्सप्रेस की गति अधिक होने के कारण ये भोपाल से लखनऊ की दूरी 8 से 9 घंटे में पूरा कर लेगी। रानी कमलापति से दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अभी 7 से 8 घंटे में उक्त यात्रा को पूरा कर रही है।
अभी चल रही ये वंदे भारत एक्सप्रेस
यात्रियों के तर्क
भोपाल से होकर गुजरने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में हमेशा टिकट की मारामारी रहती है। सामान्य सीजन में भी कन्फर्म टिकट नहीं मिलते। भोपाल-प्रतापगढ़ एक्सप्रेस भोपाल से ही चलती है, लेकिन यह ट्रेन सप्ताह में तीन दिन है। इसे भी प्रतिदिन किए जाने की मांग उठती रही है। महाकाल एक्सप्रेस मंगलवार व शुक्रवार को, वायपीआर-गोरखपुर एक्सप्रेस शुक्रवार को, बीडीटीएस-गोरखपुर शुक्रवार को मिलती है।
अधिकारियों के तर्क
भोपाल से लखनऊ की दूरी काफी है। इन दोनों ही स्टेशनों के बीच एक वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी उच्च गति वाली ट्रेन की जरूरत है। ऐसी ट्रेन को यात्री भी मिलेंगे। यदि वरिष्ठ अधिकारी उचित समझें तो पूर्व से चलाई जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस का लखनऊ तक विस्तार किया जाना चाहिए।
— दिनेश रिछारिया, पूर्व स्टेशन प्रबंधक, भोपाल
लखनऊ हो या गोरखपुर, यहां के लिए तो हमेशा से उच्च गति वाली ट्रेनों की मांग उठती रही है। इस ओर रेलवे को ध्यान देना चाहिए। वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई जाए तो और अच्छा होगा।
— निरंजन वाधवानी, पूर्व सदस्य, मंडल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति
भोपाल से हावड़ा, पुणे, लखनऊ, गोरखपुर, चेन्नई, मुंबई जैसे मार्गों के लिए पर्याप्त ट्रेनें नहीं है, जबकि यह बात रेलवे के भी संज्ञान में है कि इन शहरों के लिए टिकट की मांग रहती है। रेलवे को ऐसे शहरों तक ट्रेनों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
— अरुण अवस्थी, उपाध्यक्ष, मप्र रेलवे अप-डाउनर एसोसिएशन
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