आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के प्रसिद्ध बैजनाथ महादेव की आज सावन के आखरी सोमवार पर आज शाही सवारी निकलेगी। बाबा की 45वीं शाही सवारी में एक लाख से अधिक भक्त शामिल होने का अनुमान है। मंदिर में आरती के बाद दोपहर एक बजे शाही सवारी शुरू होगी। 8 किलोमीटर का सफर बाबा बैजनाथ करीब 8 घंटे में तय करेंगे।
बाबा बैजनाथ की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब हैं। शाही सवारी में शामिल होने वाले भक्तों को पुरानी कृषि उपज मंडी में भोजन प्रसादी ग्रहण करवाई जाएगी। 80 हजार से अधिक बाबा के भक्त भोजन प्रसादी ग्रहण करेंगे, ऐसा अनुमान आयोजन से जुड़े लोगों ने लगाया हैं। बाबा बैजनाथ इस बार चांदी की पालकी में विराजित हो कर शहर भ्रमण करेंगे। 45 साल पहले शाही सवारी की जब शुरुआत हुई थी, तब बाबा को हाथ ठेले में विराजित कर शहर भ्रमण कराया गया था।
गर्भगृह में बाबा की आरती
शाही सवारी शुरू होने के पहले गर्भगृह में विधि विधान से बाबा की आरती की जाती है। उसके बाद आव्हान करके बाबा को चांदी की पालकी में विराजित किया जाएगा। भक्त नाचते, गाते व जयकारा लगाते हुए पालकी में शामिल होंगे। जिला जेल के सामने बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा है, मंदिर से छावनी नाके तक की दूरी ही चार घंटे में तय होगी। सरकार बाड़ा, गोपाल मंदिर होते हुए शाही सवारी पुरानी कृषि उपज मंडी पहुंचेगी, जहां समापन आरती होगी।
शाही सवारी में बैंड, ढोल, ताशे, कड़ा बीन के अलावा फुलों की वर्षा करती तोप तथा बाबा की पालकी के आगे रास्ता साफ करते हुए श्रीराम सेना के सदस्य चलेंगे। भक्त बाबा के बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें, इसके लिए रस्सा पार्टी तैनात रहेगी। अखाड़े के कलाकार अपने करतब दिखाएंगे, वहीं शहर वासी स्थान-स्थान पर बाबा का पूजन, व आरती करेंगे। इस बार शाही सवारी में भक्तों की संख्या एक लाख से अधिक रहने का अनुमान अधिकारी व व्यवस्था से जुड़े लोग लगा रहे हैं। क्योंकि सावन के हर सोमवार पर गत वर्षों की तुलना में दो गुनी भीड़ दर्शनार्थियों की रही थी।
80 हजार भक्तों के भोजन का इंतजाम
शाही सवारी में शामिल होने वाले भक्तों को भोजन कराने की परंपरा भी दशकों पुरानी है, इस बार 80 हजार भक्तों के भोजन प्रसादी ग्रहण करने का अनुमान लगाकर भोजन बनवाया गया है। करीब 100 क्विंटल कद्दू, 80 क्विंटल आटा, 11 टंकी तेल, 20 क्विंटल शक्कर, 10 क्विंटल बेसन से पुरी, कद्दू की सब्जी, नमकीन व नुक्ती का निर्माण करवाया गया हैं। पुरानी कृषि उपज मंडी में भक्तों को डोम के नीचे बैठाकर भोजन कराया जाएगा। शाही सवारी बिना किसी व्यवधान के निकले, इसके लिए जिला प्रशासन, भक्त मंडल व आयोजन से जुड़े लोगों के साथ लगातार बैठक कर रहा है।
इन्होंने की थी शाही सवारी की शुरुआत
बैजनाथ महादेव मंदिर शहर से करीब 4 किमी दूर है। प्राचीन मंदिर से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। बैजनाथ महादेव के परम भक्त नंदकिशोर गर्ग माडसाहब व स्व. लक्ष्मीनारायण चावड़ा कानड़, अमरसिंह गुर्जर लाड़वन, कन्हैयालाल जैन कबाड़े वाले, मांगीलाल जी अग्रवाल सिरपोई वाले, शिवनारायण गुर्जर, चतुर्भुज सोलंकी, राजाराम गवली ने उज्जैन महाकाल की तर्ज पर बाबा की शाही सवारी निकालने का निर्णय 45 वर्ष पहले लिया था।
साधनों के अभाव के चलते हाथ ठेले में बाबा को विराजित कर शहर भ्रमण कराया गया था। उस समय शाही सवारी छावनी तक ही आती थी। करीब 4 वर्षों तक हाथ ठेले में सवारी निकालने के बाद दो वर्ष तक बैलगाड़ी में बाबा की सवार निकाली गई, उसके बाद शिवनारायण गुर्जर के ट्रैक्टर में बाबा को विराजित करके शाही सवारी निकालने का सिलसिला शुरू हुआ। लंबे समय तक यह क्रम चलता रहा। उसके बाद बाबा के लिए रथ का निर्माण करवाया गया। इस बार भक्तों ने अपनी और से चांदी व राशि देकर पालकी का निर्माण करवाया हैं। पालकी का पूजन भक्तों ने मंदिर परिसर में किया था। चांदी की पालकी बड़ौद के युवा व आगर के भक्त मिलकर उठाएंगे।
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