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नगर सेवा की लो फ्लोर बसों में लक्जरी के नाम पर बे-बस सफर

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भोपाल। राजधानी में लोक परिवहन के लिए नगर निगम प्रशासन द्वारा 24 मार्गों में 365 बसों को संचालन किया जा रहा है। इनके संचालन के समय दावा किया गया था कि बस में यात्रियों को समयबद्धता के साथ ही आरामदायक सफर का एहसास होगा। लेकिन मौजूदा दौर में इन बसों में लोगों की जमकर फजीहत हो रही है। हालत यह है कि व्यस्त समय में इन बसों में सीट मिलना तो दूर, यात्रियों को पायदान पर खड़े होकर सफर करना पड़ रहा है। प्रबंधन का अंकुश न होने से चालक ज्यादा से ज्यादा सवारियां बिठाने के लिए मनमर्जी से बसें चला रहे हैं। इससे सड़क पर चलने वाले अन्य राहगीरों का जीवन भी खतरे में होता है। नवदुनिया टीम ने शहर के लोक परिवहन की हकीकत जानने के लिए इन बसों में सफर किया तो कई खामियां सामने आई।

महिलाओं/दिव्यांगों को नहीं मिलती बैठने की जगह

इन बसों में सामान्य यात्रियों के साथ महिला, बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए सीटें आरक्षित हैं। लेकिन भीड़भाड़ के समय आरक्षित सीटों पर भी पुरुषों का कब्जा होता है। मजबूरी में महिलाएं और दिव्यांग खड़े होकर इन बसों में सफर करते हैं। लेकिन इन आरक्षित सीटों में बैठे अनारक्षित लोगों को बस के परिचालक उठने के लिए भी नहीं कहते हैं।

मोटर व्हीकल एक्ट का हो रहा उल्लंघन

शहर में नियम कायदे को ताक मे रखकर बीसीएलएल के चालक बस चलाते हैं। आपसी प्रतिस्पर्धा के चक्कर में इन बसों की गति निर्धारित रफ्तार से अधिक होती है। ये बसें भी तय स्टाप के बजाय जहां किसी सवारी ने हाथ दिया, वहीं रुक जाती हैं। इधर नगर निगम की बस होने से ट्रैफिक पुलिस भी इन बसों पर कार्रवाई नहीं करती है। जिससे चालक न तो ट्रैफिक सिग्नल का पालन करते और ना ही अन्य नियमों का।

बसों की संख्या कम होने से लंबा इंतजार

शहर की जनसंख्या करीब 23 लाख तक पहुंच चुकी है। इनके लिए शहर में 365 बीसीएलएल बसें चलती हैं। इन बसों में हर दिन लगभग डेढ़ लाख यात्री सफर करते हैं। लेकिन जनसंख्या के अनुसार बसों की संख्या कम होने से लोगों को बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। हालांकि नगर निगम द्वारा बीते दो वर्ष पहले 300 डीजल बसों की खरीदी के लिए टेंडर जारी किए गए थे। लेकिन अब तक केवल 77 सीएनजी और 40 डीजल बसों की आपूर्ति की गई है।

इन मार्गों पर ओवरलोड चल रही बसें

एमपी नगर में कोचिंग संस्थानों में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है। साथ ही कामकाजी व खरीदारी करने वाले लोग भी बहुत आते हैं। ऐसे में एमपी नगर से नर्मदापुरम सड़क, एमपी नगर से अवधपुरी, एमपी नगर से नेहरू नगर और कोलार की ओर जाने वाली बसों में पीक आवर्स में यात्रियों को बैठने की जगह नहीं मिलती। यहीं हाल वापसी वाली बसों का भी होता है।

इनका कहना

शहर में यात्री सुविधाओं के विस्तार के लिए बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है। हालांकि अधितकर मार्गों में पीक आवर्स के दौरान भीड़ की नौबत बनती है, लेकिन दूसरे समय में यात्री आराम से यात्रा करते हैं।

– गौरव बैनल, सीईओ, बीसीएलएल

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