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छत्तीसगढ़ ने बढ़ाए कर्मचारियों के भत्ते अब मध्य प्रदेश सरकार पर बढ़ेगा दबाव 11 साल से नहीं बढ़ा वाहन एवं मकान किराया भत्ता

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भोपाल। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ ने अपने कर्मचारियों का गृहभाड़ा भत्ता बढ़ा दिया है। उन्हें अब क्षेत्र की जनसंख्या के मान से सातवें वेतनमान में मूलवेतन का छह से नौ प्रतिशत भत्ता दिया जाएगा। छग सरकार के इस निर्णय के बाद मध्य प्रदेश सरकार पर दबाव बढ़ने लगा है। यहां 11 वर्ष से गृहभाड़ा भत्ता नहीं बढ़ा है।

तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 1075 रुपये गृहभाड़ा

महंगाई के इस दौर में भोपाल में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 1075 रुपये गृहभाड़ा और दो सौ रुपये वाहन भत्ता (पेट्रोल के लिए) दिया जा रहा है। मध्‍य प्रदेश में वर्ष 2016 से कर्मचारियों को सातवां वेतनमान मिल रहा है। यानी सात वर्ष आठ माह में चतुर्थ से प्रथम श्रेणी कर्मचारियों को 2़ 34 लाख से 10़ 27 लाख का नुकसान हो चुका है।

लंबे समय से भत्तों में वृद्धि की मांग

प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से भत्तों में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार ने उन्हें कई बार भरोसा भी दिलाया, पर भत्तों में वृद्धि नहीं हुई। जब कर्मचारियों का अधिक दबाव बढ़ा तो छह माह पहले विभिन्न भत्ता राशि में वृद्धि पर विचार के लिए सचिव स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति को एक माह में रिपोर्ट सौंपनी थी, पर अब तक विचार ही चल रहा है।

मप्र के कर्मचारियों में गुस्सा

अब जबकि छत्‍तीसगढ़ सरकार ने भत्ते बढ़ा दिए हैं, तो मप्र के कर्मचारियों का गुस्सा फूटने लगा है। वे एक बार फिर आंदोलन की बात करने लगे हैं, जो चुनावी वर्ष में सरकार के लिए ठीक नहीं है। बता दें कि हाल ही में सरकार ने इन कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाकर केंद्रीय कर्मचारियों के समान कर दिया है।

चार हजार से कम किराया नहीं

भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है और यहां ईडब्ल्यूएस मकान का किराया भी चार हजार से कम नहीं है। ऐसे में कर्मचारियों को छठवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा, वाहन सहित अन्य भत्ते दिए जा रहे हैं। कर्मचारी कहते हैं कि कोई भी कर्मचारी ईडब्ल्यूएस मकान से कम जगह में तो नहीं रह सकता है और उसके लिए भी कम से कम चार हजार रुपये तो चाहिए ही हैं।

ऐसे में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को 1075 रुपये दिए जाना कहां तक उचित है। इतने में तो भोपाल में झुग्गी भी नहीं मिल सकती है। ऐसे ही पेट्रोल के दाम 108 रुपये लीटर हैं। फिर दो सौ रुपये के पेट्रोल में महीनेभर गाड़ी कैसे चल सकती है। वे कहते हैं कि सात वर्ष आठ माह पहले सातवां वेतनमान मिलना प्रारंभ हुआ है। तब से अब तक का गृहभाड़ा भत्ता जोड़ें तो हम दो लाख 34 हजार से 10 लाख 27 हजार रुपये के घाटे में चल रहे हैं। बता दें कि प्रदेश में जनसंख्या के मान से अलग-अलग क्षेत्रों में तीन से 10 प्रतिशत गृहभाड़ा भत्ता दिया जा रहा है।

इनका कहना है

सरकार कर्मचारियों को भूली हुई है, कहीं कर्मचारी सरकार को न भूल जाएं। 11 साल से गृहभाड़ा, वाहन सहित अन्य भत्ते नहीं बढ़ाए गए हैं। समिति बनाई, उसने भी कुछ नहीं किया। अलग-अलग श्रेणी के कर्मचारियों को दो लाख 34 हजार से 10 लाख 27 हजार रुपये का घाटा हो चुका है। सरकार को जल्द ही इस पर निर्णय लेना चाहिए।

उमाशंकर तिवारी, सचिव, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ

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