मुरैना। मुरैना से दो नेशनल हाईवे 44 और 552 गुजरे हैं। नेशनल हाईवे 44 आगरा-मुंबई पर हादसों का ग्राफ पहले से चिंताजनक था, क्योंकि इस हाईवे पर क्षमता से कहीं ज्यादा वाहनों का ट्रैफिक है। नेशनल हाईवे 552 पर वाहनों का इतना दवाब भी नहीं, फिर भी इस हाईवे पर लगातार हादसे हो रहे हैं। कई ब्लैक स्पाट ऐसे हैं, जो तीन-तीन साल से चिन्हित हैं। यहां लगातार हादसे हो रहे हैं, लेकिन हादसों को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए हैं।
नेशनल हाईवे 552 पर सबलगढ़-कैलारस के बीच रविवार की शाम सबलगढ़ की ओर से आई एक कार ने बकसपुर गांव के पास एक बाइक में टक्कर मार दी। इस हादसे में कुल्होली गांव निवासी बंटी पुत्र झऊआ कुशवाह और उसके साथी रामकुमार पुत्र मावसिया कुशवाह की दर्दनाक मौत हुई थी। इस हाईवे पर यह पहला हादसा नहीं है, एक महीने पहले नेपरी व सेमई के बीच ऐसे ही हादसे में बाइक सवार पिता-पुत्र की मौत हुई थी। कुछ महीने पहले जौरा के बाद कार व भूंसा से भरे ट्रक की टक्कर में कार में सवार तीन भाई-बहनों की मौत हुई थी।
नेशनल हाईवे 552 पर हो रहे ऐसे हादसों की लिस्ट
तीन साल में चार ब्लेक स्पाट पर 23 हादसे, 22 की जान गई
जौरा के पास दो व कैलारस व सबलगढ़ के पास एक-एक ब्लैक स्पाट हैं, जहां बीते तीन साल से लगातार हादसे हो रहे हैं। इन चार स्थानों पर तीन साल में 23 हादसे हुए हैं, जिनमें 22 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। बिलगांव में माडल स्कूल से न्यायालय तक की सड़क हादसों का ब्लेक स्पाट है, एक महीने पहले यहां सड़क किनारे खड़ी बालिका को बस ने कुचल दिया था। इसी जगह पर तीन साल में छह बड़े हादसे हुए, जिनमें सात लोगों की जान चली गई।
इसी तरह गैपरा फाटक से राहुल ढाबा तक 150 मीटर का हिस्सा ब्लेक स्पाट में हैं, जहां तीन साल में हुए छह भीषण हादसों में छह की मौत हुई है। इनमें अलावा 14 से ज्यादा घायल हुए, इनमें से पांच जीवनभर के लिए अपाहिज हो चुके हैं। इसी तरह सबलगढ़ में पंचमुखी हनुमान मंदिर व कैलारस में कुटरावली फाटक के पास ब्लेक स्पाट है, इन दोनों जगहों पर तीन साल में 11 बड़े हादसे हुए हैं, जिनमें 9 लोगों की जान चली गई। यह हादसे इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि यहां कोई सचेतक बोर्ड नहीं, स्पीड ब्रेकर तक नहीं बनवाए गए, जिससे वाहनों की रफ्तार कम हो।
सुझावों पर अमल के बाद होगी हादसों में कमी
नेशनल हाईवे 552 पर चार ब्लेक स्पाट हैं, जहां हादसे ज्यादा होते हैं। यहां हादसे रोकने के लिए एनएचएआइ को पत्र लिख चुके हैं, एक बार उनके इंजीनियरों को दौरा भी करा चुके हैं, जो सुझाव बताए थे, उन पर अमल हो तो हादसों में कमी आ सकती है।
रोहित यादव, यातायात प्रभारी, मुरैना
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