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रमरमा माइंस में बाघिन की चहलकदमी मजदूर अपनी जगह पर करीब छह घंंटे बैठे

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बालाघाट। कान्हा सहित जिले के रमरमा वन क्षेत्र में अक्सर वन्यप्राणियों की मौजूदगी बनी रहती है। एक दिन पहले रमरमा माइंस क्षेत्र में उस समय लोग सहम गए, जब उन्होंने एक बाघिन को अपने दो शावकों के साथ चहलकदमी करते देखा। रमरमा क्षेत्र घने जंगलों से घिरा है और सोनेवानी से लगा है, जहां हमेशा बाघों की गतिविधियां देखी जाती है।

बाघिन अपने शावकों के साथ रात में लौटी, मजदूर दहशत में

बाघिन अपने शावकों के साथ माइंस इलाके में पहुंच गई, जिसके बाद वहां काम कर रहे मजदूर दहशत में आ गए। अंडर ग्राउंड में काम कर रहे कुछ मजदूरों को आसपास बाघिन के होने की सूचना मिलते ही वो भी अपनी जगह पर करीब छह घण्टे बैठे रहे। वन विभाग को जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे। मादा बाघ एवं उसके बच्चों को वहां से हटने तक वन अमले का पाईंट लगाया गया।

तीन सर्किल की टीम तैनात थी, बाघिन ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया

वन परिक्षेत्र अधिकारी छत्रपाल सिंह ने बताया कि मौके पर तीन सर्किल की टीम तैनात थी, लेकिन देर रात बाघिन बिना किसी को नुकसान पहुंचाए अपने शावकों के साथ जंगल की ओर चली गई। रमरमा क्षेत्र में गत दिनों एक वन्यप्राणी के शिकार के बाद क्षेत्र में इन दिनों बाघ सहित अन्य वन्यप्राणियों की चहलकदमी बढ़ गई है। बता दें कि इस इलाके में रमरमा, पेंदीटोला, नैतरा, कटंगझरी, शेरपार, नांदगाव, बोटेझरी, सिर्रा, चिरचिरा जैसे वनग्रामों में बाघ व तेंदुए किसानों के पालतू मवेशियों का शिकार करते रहते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा पूर्व में भी यहां चरवाहों व जंगल में लकड़ी काटने जाने वाले ग्रामीणों पर बाघ हमला कर चुका है।

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