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4 घंटे की कैद, धमकी और फिर मौत… कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट, जिसमें आगरा की टीचर की गई जान?

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Hello, मैं पुलिस अधिकारी बोल रहा हूं. आपका बेटी सेक्स स्कैंडल में पकड़ी गई है. अगर बचाना है तो 1 लाख भेजो… जब तक फैसला नहीं लेते तुम्हे कॉल पर रहना पड़ेगा. किसी को कॉल नहीं कर सकते… जी हां, कुछ ऐसा ही होता है डिजिटल अरेस्ट. जिसमें फ्रॉड करने वाले आपके सोचने-समझने की शक्ति पर इतना हावी हो जाते हैं कि उनकी बात के अलावा आपको कुछ और नहीं सूझता. सामने वीडियो पर आपको पुलिस अधिकारी दिखाई देता है, वह बात करता है और आप उसकी बातें मानने के लिए मजबूर होते हैं ताकि आप अपने आप को या फिर अपने किसी खास को बचा सकें.

यूपी के आगरा जिले में भी साइबर ठगों ने एक सहायक शिक्षका मालती वर्मा की जान ले ली है. उन्होंने चार घंटे तक टीचर को डिजिटल अरेस्ट करके रखा. ठगों ने उनसे उनकी बेटी को सेक्स स्कैंडल से बचाने के बदले 1 लाख रुपये मांग की. सहायक शिक्षका ने जैसे-तैसे हिम्मत करके अपने बेटे को पूरी बात बताई. बेटे ने उन्हें समझाया कि सब फ्रॉड है. वह मान भी गईं लेकिन घबराहट अंदर ही अंदर बनी रही और उनकी तबीयत बिगड़ गई और आखिरकार उनकी मौत हो गई.

पहले ढूंढते हैं शिकार

आगरा की इस घटना के बाद डिजिटल अरेस्टिंग और साइबर फ्रॉड की काफी चर्चा हो रही है. हर कोई जानना चाहता है कि आखिर यह डिजिटल अरेस्टिंग क्या है और कैसे साइबर ठग लोगों को सिर्फ एक कॉल की मदद से इतना प्रताड़ित कर देते हैं कि लोग अपनी मेहनत से जोड़ी गई मेहनत की कमाई को यूं ही गंवा देते हैं. देश के लगभग हर कोने से इन दिनों साइबर ठगी की वारदाते सामने आ रही हैं. जिसमें बूढ़े और तकनीकि को कम समझने वाले लोगों को ज्यादातर निशाना बनाया जा रहा है. डिजिटल अरेस्टिंग करने वाले कई तरीकों को अपनाते हैं. पहले वह अपने शिकार की पूरी डिटेल निकलवाते हैं जिसमें उन्हें पता चलता है कि आखिर इस शख्स को कैसे घेरना है. जैसे किसी का बेटा बाहर जॉब कर रहा है, किसी की बेटी बाहर पढ़ रही है, कोई मोटा पैसा अपने अकाउंट में रखकर बैठा है.

फिर होता है डिजिटल अरेस्टिंग का खेल

डिजिटल अरेस्ट में सबसे पहले आपके पास किसी शख्स का कॉल आता है जो खुद को कोई बड़ा पुलिस अधिकारी बताता है, या फिर किसी एजेंसी IB, NIA, ED का अधिकारी बताता है. इसके बाद वह आपको कोई शॉकिंग न्यूज देगा, जिसमें हो सकता है वह आपके किसी परिजन के बारे में बताए कि उसे किसी केस में पकड़ लिया गया है. उस केस को रफा-दफा करने के लिए वह आपसे पैसों की मांग करेगा. इस लेनदेन की बातचीत के दौरान वह आपके साथ लगातार कनेक्टेड रहने की कोशिश करेगा. चाहे मामला 4-5 घंटे तक चले या फिर 4-5 दिन तक. ठगी करने वाले आपको सोचने-समझने का मौका नहीं देते.

अकेले कमरे में पूछताछ का बहाना

साइबर ठग आपसे पैसों की मांग करते हैं और अपने अलग-अलग अकाउंट में राशि जमा करवाते हैं. आपके पैसे ट्रांसफर करने तक आपको स्काइप या वॉट्स एप के जरिए वीडियो ऑन करके रहने को भी मजबूर किया जाता है. कई बार पूछताछ के लिए साइबर ठग आपको किसी कमरे में एकांत में वीडियो कॉल पर कनेक्ट करने के लिए कहते हैं. इसके पीछे वह आपको इंटेरोगेशन का बहाना बताते हैं. बातचीत के दौरान जैसे ही उन्हें अहसा होता है कि आप उनकी बातों पर भरोसा कर रहे हैं बस तभी वह आपसे केस को निपटाने के लिए पैसों की मांग करते हैं.

आए दिन आ रहे केस

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक ऐसी वारदातें आए दिन सामने आ रही हैं. देश के लगभग हर कोने में इस तरह के ठग अपने शिकार खोज रहे हैं और उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे वसूल रहे हैं. कुछ लोग ईडी और आईबी जैसी बड़ी एजेंसियों का नाम सुनकर ही सब कुछ भूल जाते हैं और फ्रॉड करने वालों के झांसे में आ जाते हैं. इस स्थिति में आपको घबराना नहीं है और कोई भी बहाना बनाकर आपको तुरंत पुलिस को सूचना देनी है.

बचाव के लिए क्या करें-

  • अगर आप भी इस तरह के फ्रॉड करने वालों से बचना चाहते हैं तो यह जान लीजिए की पुलिस या कोई भी बड़ी एजेंसी कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है. वह आपको नोटिस भेजेंगे या आपको पूछताछ के लिए रजिस्टर्ड ऑफिस में बुलाया जाएगा.
  • केस के निपटारे के लिए पुलिस आपसे कभी भी संपर्क नहीं करती है. इसलिए अगर कोई पैसों की मांग करें तो समझ जाएं दाल में कुछ काला है.
  • वॉट्सएप या फोन पर आ रहे +92 नंबर वाले वॉइस कॉल्स और वीडियो कॉल्स इग्नोर करें.
  • अनजान नंबरों को फोन पर इंटरटेन न करें. क्योंकि एआई की मदद से फ्ऱॉड करने वाले किसी अधिकारी की वीडियो या फिर आपके किसी करीबी की वीडियो और ऑडियो आपको सुना सकते हैं. इसलिए घबराएं नहीं और तुरंत पुलिस से संपर्क करें.
  • किसी अपने के किसी केस में फंसने की बात पर तुरंत अपने परिजन से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करें या फिर पुलिस को सूचना दें.
  • अगर आपको किसी भी तरह की ठगी का अहसास हो रहा है तो तुरंत 1930 पर कॉल करके अपनी कंपलेन रजिस्टर करवाएं, या फिर आप https://cybercrime.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
  • किसी भी कीमत पर अपने मोबाइल पर आए ओटीपी, अपने कार्ड्स के पिन किसी को भी न बताएं.
  • याद रहे किसी भी अनजान लिंक पर गलती से भी क्लिक न करें. भले ही उस लिंक पर आपको किसी बड़ी कंपनी का नाम दिख रहा हो. किसी भी काम के लिए हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट से ही लॉगिन करें.

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