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जीआरएमसी को जिनको करना था बर्खास्त, उनको दिया जा रहा है मोटा वेतन

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ग्वालियर। गजराराजा मेडिकल कालेज तीन साइंटिस्टों पर मेहरबान हैं। प्रबंधन उनको बर्खास्त करने के बजाय मोटा वेतन दे रहा है, जबकि जांच में साइंटिस्ट के तीन पदों पर हुईं भर्तियां फर्जी साबित हो चुकी हैं। फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाने की पुष्टि भी जांच में हो चुकी है। कार्यकारिणी की बैठक में यह मामला न्यायालय में होने की बात कहकर दबा रखा है। खास बात यह कि जो साइंटिस्ट जीआरएमसी में भर्ती हुए उनमें दो महिलाओं के पति कालेज में ही पदस्थ हैं और एक डाक्टर की भतीजी की भी नियुक्ति हुई।

इस मामले में पहले से शिकायतें चल रहीं थी लेकिन मामला हाइप्रोफाइल होने के कारण जांचों को आगे नहीं बढ़ाया गया। जब इस मामले की शिकायत तत्कालीन संभागायुक्त दीपक सिंह तक पहुंची और उन्होंने जांच कराई तो कड़ियां खुलती चली गईं, लेकिन तीनों साइंटिस्ट अब तक पदस्थ हैं। फर्जी पाए गए थे दस्तावेज: जांच में अनुभव प्रमाण-पत्र व अन्य दस्तावेज फर्जी पाए गए थे।

इसकी पुष्टि उच्च शिक्षा विभाग ने भी की थी। जीआरएमसी के पैथोलाजी विभाग के डा. अमित निरंजन की पत्नी शुभ्रा सिंह को साइंटिस्ट ग्रुप बी, फिजियोलाजी विभाग में पदस्थ डा. विकास जैन की पत्नी ज्योति को साइंटिस्ट ग्रुप सी और फार्मोकालाजी विभाग के डा. एके जैन की भतीजी मीनू जैन की भर्ती का यह मामला है।

साइंटिस्ट भर्ती मामला

जीआरएमसी ने माइक्रोबायोलाजी विभाग में ग्रुप बी, सी तथा डी के साइंटिस्ट के एक-एक पद के लिए विज्ञापन के जरिए भर्ती निकालीं थीं। इसमें जिन तीन साइंटिस्टों के दस्तावेज फर्जी निकले। इनके साथ कई आवेदकों ने आवेदन दिए थे। आवेदकों के दस्तावेजों की जांच के लिए डा केपी रंजन की अध्यक्षता में स्क्रूटनिंग कमेटी बनाई गई, जिसमें डा मनोज बंसल, डा गजेंद्र पाल आदि सदस्य थे।

चयन समिति में यह थे शामिल

चयन समिति में तत्कालीन डीन डा समीर गुप्ता, तत्कालीन जेएएच अधीक्षक डा आरकेएस धाकड़, डा. राजकुमार, डा अनिल शामिल थे। इन्होंने शुभ्रा सिंह, ज्योति जैन और मीनू के नाम फायनल किए थे। इसमें यह भी बताया गया है कि पहले ही स्क्रूटनिंग और चयन समिति तीनों साइंटिस्टों के नाम तय कर चुकी थी और प्रक्रिया महज दिखावा जैसी थी। इस मामले में जेयू के पूर्व कार्यपरिषद सदस्य मुनेंद्र सोलंकी ने शिकायत की थी। जिसके बाद जांच शुरू हुई।

यह प्रमाण पत्र निकले थे फर्जी

पीजीडीसीए सर्टिफिकेट जांच में जिस एथिक्स ग्रुप ने जारी किया था उसे प्रमाण पत्र जारी करने की पात्रता ही नहीं थीं। इसी तरह नर्सिंग कालेज में गेस्ट फैकल्टी और कम्प्यूटर डिप्लोमा के प्रमाण पत्र लगाए गए जो उच्च शिक्षा विभाग से जांच के बाद फर्जी निकले। बैक डेट में अनुभव प्रमाण पत्र तैयार कराए गए थे।

नहीं उठा फोन

इस मामले को लेकर जीआरएमसी डीन डा.आरकेएस धाकड़ से जब चर्चा करनी चाहिए, तो उनका फोन नहीं उठा।

इनका कहना है

कार्यकारिणी की बैठक में प्रकरण रखा गया था, लेकिन मामला न्यायालय में प्रचलित होने के कारण निर्णय का इंतजार किया जा रहा है। न्यायालय इस मामले जो निर्णय लेगा उसी आधार पर कार्रवाई होगी।

डा. प्रवेश सिंह भदौरिया, पीआरओ, जीआरएमसी

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