Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

MP में सामान्य से 12 फीसदी अधिक बारिश, नदी-नाले उफान पर, छिंदवाड़ा, शहडोल, सागर समेत 26 जिलों में भारी वर्षा की चेतावनी

6

भोपाल। दो-तीन दिन की सुस्ती के बाद प्रदेश में मानसून की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है। भोपाल, सीधी, नर्मदापुरम, रायसेन समेत कई शहर बारिश से तरबतर हैं। पश्चिम बंगाल के आसपास एक कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इसके अलावा अलग-अलग स्थानों पर चार मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं।

कई जगह डैम के गेट खुले

शुक्रवार को भारी बारिश के चलते भोपाल, नर्मदापुरम, बैतूल, राजगढ़ जैसे जिलों में डैम के गेट खोले गए। भोपाल में शुक्रवार सुबह कोलार डैम के 4, कलियासोत के 10 और भदभदा डैम के चार गेट खोले गए। वहीं नर्मदापुरम में नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ने से तवा डैम के पहले 5 गेट खोले गए, दोपहर तक 04 और गेट खोल दिए गए। इस तरह कुल नौ गेट खोले गए। बैतूल के सारणी में सतपुड़ा डैम के 07 गेट दो-दो फीट तक खोले गए। वहीं राजगढ़ में मोहनपुरा बांध का एक गेट 50 सेमी तक खोला गया।

इन जिलों में भारी बारिश के आसार

मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के अनूपपुर, छिंदवाड़ा, मंदसौर, शहडोल, सागर, उमरिया और रायसेन जिलों में अलग-अलग स्थानों पर अति भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं बालाघाट, दमोह, डिंडोरी, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, पन्ना, निवाड़ी, रीवा, सिवनी, सीधी, मऊगंज, बैतूल, देवास, हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा और पांढुर्ना जिलों में भी अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। इसके अलावा छतरपुर, निवाड़ी, सागर, सतना, टीकमगढ़, मैहर, आलीराजपुर, अशोकनगर, बड़वानी, भोपाल, बुरहानपुर, गुना, इंदौर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन, मंदसौर , नीमच, राजगढ़, शाजापुर, शिवपुरी और श्योपुरकलां जिलों में अलग-अलग स्थानों पर गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।

कहां, कितना बरसा पानी

मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले चौबीस घंटों के दौरान शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे तक सीधी में 91.8, नर्मदापुरम में 90.4, पचमढ़ी में 86.2, भोपाल में 85.2, रायसेन में 79.4, सिवनी में 32.2, छिंदवाड़ा में 25.8, उज्जैन में 18.6, मलाजखंड में 16.8, धार में 16.3, रतलाम में 16, खरगोन में 15.8, रीवा में 14.4, उमरिया में 12.2, खंडवा में 12, गुना में 11.4, जबलपुर में 7.3, मंडला में 6.8, बैतूल एवं खजुराहो में 6.6, इंदौर में 5.9, दमोह में पांच, ग्वालियर में 2.4 एवं सागर में 2.2 मिलीमीटर वर्षा हुई। इस दौरान पचमढ़ी में अधिकतम 39 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं भी चलीं।

मानसून ने किया तरबतर

बता दें कि इस सीजन में एक जून से लेकर दो अगस्त की सुबह साढ़े आठ बजे तक 524.9 मिमी. वर्षा हो चुकी है। जो सामान्य वर्षा (470.5 मिमी.) की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है। इसमें पूर्वी मध्य प्रदेश में अब तक 537.7 मिमी. वर्षा हुई। जो सामान्य वर्षा (514.8 मिमी.) के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक है। पश्चिमी मप्र में अभी तक 515.1 मिमी. वर्षा हुई है। जो सामान्य वर्षा (436.5 मिमी.) के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है।

ये वेदर सिस्टम सक्रिय

मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र और उससे सटे बांग्लादेश पर चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव में गांगेय पश्चिम बंगाल और उससे सटे झारखंड पर एक कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इससे संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 7.6 किमी ऊपर तक फैला हुआ है। इसके पश्चिम-उत्तरपश्चिम की ओर बढ़ने और अगले 24 घंटों के दौरान और अधिक तीव्र होने की संभावना है।
मानसून द्रोणिका अब श्रीगंगानगर, हिसार, दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, डाल्टनगंज, गांगेय पश्चिम बंगाल और उससे सटे झारखंड पर कम दबाव वाले क्षेत्र के केंद्र से होकर दक्षिण-पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी तक फैली है। पूर्वोत्तर राजस्थान और आसपास के इलाकों पर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। पंजाब और आसपास के इलाकों पर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
दक्षिण गुजरात से केरल तट तक औसत समुद्र तल पर अपतटीय द्रोणिका बनी हुई है। पूर्वोत्तर अरब सागर और उससे सटे सौराष्ट्र के ऊपर समुद्र तल से 4.5 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण की ओर झुका हुआ है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.