भाजपा का मंच साझा किया था, विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे को कांग्रेस नहीं मान रही अपना, सदस्यता समाप्त करने की तैयारी
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के दो विधायकों को कांग्रेस अब अपना मानने के लिए तैयार नहीं है। विजयपुर से छह बार के विधायक रामनिवास रावत और बीना सीट से विधायक निर्मला सप्रे को पार्टी एक जुलाई से प्रारंभ हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में अपने साथ नहीं बैठाएगी। इनकी सदस्यता समाप्त करवाने के लिए सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को आवेदन भी दिया जाएगा।
दोनों ने लोकसभा चुनाव के समय भाजपा का मंच साझा करने के साथ पार्टी प्रत्याशियों के विरोध में काम किया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की बैठक के बाद दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त करवाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को आवेदन देने का निर्णय लिया गया।
सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और अन्य विधानसभाओं में इस तरह के प्रकरणों में हुई कार्रवाई का हवाला देते हुए विधिक परामर्श के अनुरूप आवेदन तैयार किया गया है।
इसमें विजयपुर में हुई मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की सभा में रामनिवास रावत के शामिल होने, भाजपा के चिन्ह वाला अंगवस्त्र पहनने और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार के विरोध में काम करने के प्रमाण आवेदन में दिए जाएंगे।
इसी तरह बीना से विधायक निर्मला सप्रे के संबंध में भी प्रमाण आवेदन के साथ लगाए जाएंगे। पिछली विधानसभा में बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला के साथ भी ऐसा हो चुका है। उनकी सदस्यता समाप्त करने के आवेदन को निरस्त किया गया था और सदन में बैठने के लिए अलग से स्थान भी आवंटित किया था।
उपचुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस
उधर, विजयपुर और बीना सीट भले ही अभी रिक्त नहीं हुई हों, पर कांग्रेस ने इन सीटों पर उप चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। विजयपुर सीट को लेकर सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक होने जा रही है। इसमें विजयपुर के सभी कांग्रेस नेता शामिल होंगे।
इसके बाद बीना सीट को लेकर इसी तरह की बैठक आयोजित की जाएगी। इन बैठकों में इन सीटों के लिए नियुक्त किए गए प्रभारी भी उपस्थित रहेंगे।
बता दें कि विजयपुर के लिए गोविंद सिंह, बीना के लिए लखन घनघोरिया और बुधनी के लिए जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया गया है।
बुधनी से भाजपा विधायक शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद अपने स्थान से त्यागपत्र दे दिया था, जिसे स्वीकार कर सीट रिक्त घोषित कर दी गई है।
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