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एक मुलाकात और बन गई बात…आकाश आनंद का BSP में फिर कैसे बढ़ा सियासी कद?

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बीएसपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की मीटिंग रविवार यानी कल है. उससे पहले ही मायावती ने एक बड़ा फैसला किया है. उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को फिर गले लगाया है, जिन्हें कुछ दिनों पहले उन्होंने बीएसपी में हाशिए पर डाल दिया था. मायावती ने उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया था. बीएसपी चीफ ने इसी साल उन्हें अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, लेकिन पिछले महीने मायावती ने उन्हें इस जिम्मेदारी से भी मुक्त कर दिया था.

उन्होंने कहा था कि आकाश आनंद अभी इस बड़ी जिम्मेदारी के योग्य नहीं हैं. उन दिनों लोकसभा के लिए चुनाव प्रचार चल रहा था. मायावती के साथ-साथ आकाश आनंद भी बीएसपी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. उनके भाषण को खूब पसंद किया जा रहा था, पर बीच चुनाव में मायावती ने उन्हें प्रचार से हटा दिया था.

पिछले ही हफ्ते आकाश आनंद अपनी बुआ मायावती से मिलने लखनऊ पहुंचे थे. इस मुलाकात को बहुत गोपनीय रखा गया था. बीएसपी अध्यक्ष की तरफ से कहा गया था कि किसी को भी इस भेंट के बारे में पता नहीं चले. सूत्र बताते हैं कि इस मुलाकात में ही आकाश की बात बन गई. मायावती ने उनका पक्ष विस्तार से जाना. फिर आकाश को बताया गया कि आगे क्या करना है.

आकाश का नाम स्टार प्रचारकों में दूसरे नंबर पर

मायावती ने उन्हें भी बताया कि क्या नहीं करना है. इस मुलाकात के बाद ही पार्टी की मुख्य धारा में आकाश आनंद की वापसी हुई है. उन्हें उत्तराखंड में होने वाले उप चुनाव में पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया गया है. बीएसपी की तरफ से जारी लिस्ट में आकाश का नाम मायावती के बाद लिस्ट में दूसरे नंबर पर है.

कल लखनऊ में बीएसपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक है. इसमें यूपी समेत देश के सभी राज्यों के पार्टी अध्यक्षों को बुलाया गया है. पार्टी के सभी कॉआर्डिनेटर भी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे. आकाश आनंद को भी इस महत्वपूर्ण बैठक में बुलाया गया है. लोकसभा चुनाव में बीएसपी इस बार अपना खाता तक नहीं खोल पाई, जबकि पिछले चुनाव में पार्टी के दस सांसद चुने गए थे. समझा जा रहा है कि इस बैठक के बाद मायावती बीएसपी में बड़ा बदलाव कर सकती हैं.

चंद्रशेखर आजाद बने मायावती के लिए चुनौती

यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के सामने सबसे बड़ी चुनौती चंद्रशेखर रावण बन गए हैं. वे पहली बार लोकसभा का सांसद बने हैं. जिस जाति से मायावती हैं उसी जाति के रावण भी हैं. नौजवानों में चंद्रशेखर रावण की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. मायावती की चिंता रावण से अपनी पार्टी को बचाने की है. अब तक मायावती ही दलितों की सबसे बड़ी नेता रही हैं, लेकिन अब चंद्रशेखर रावण दलित राजनीति की नई आवाज बन गए हैं.

एससी समाज के नौजवानों का झुकाव उनकी तरफ है. उनसे मुकाबले के लिए ही मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को नौजवानों को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने राजस्थान के विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में भी प्रचार किया था. लोकसभा चुनाव में प्रचार की शुरुआत उन्होंने नगीना से की थी. जहां से चंद्रशेखर रावण चुनाव जीते हैं. आकाश आनंद के भाषण को लोगों ने पसंद किया था. वे समाजवादी पार्टी के मुकाबले बीजेपी के खिलाफ ज्यादा मुखर थे. हरदोई में उनके एक बयान पर उनके खिलाफ मुकदमा भी हो गया था. इसके बाद मायावती ने उनके प्रचार और इंटरव्यू देने पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब मायावती का मूड बदल गया है.

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